नीतीश सरकार में ED के नाम पर पहली बार खलबली

स्वतंत्र समय, पटना

केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के महत्वपूर्ण घटक जनता दल यूनाईटेड को ईडी ( ED ) के कारण असहजता हो रही है। एजेंसी ने पहले बलात्कार के आरोपी भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी संजीव हंस के घर दबिश दी। फिर उनसे जुड़े कई लोगों तक। ईडी को इस दबिश में कुछ ऐसा हाथ लगा कि इसमें संजीव हंस से भी ज्यादा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी आईएएस अधिकारी तक मामला पहुंच गया है।

ED ने आईएएस के घर बुलावा भेजा है

संजीव हंस को अगर प्रवर्तन निदेशालय ( ED ) ने आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के केस में दबोच लिया तो सीएम नीतीश कुमार के उस करीबी आईएएस अधिकारी का भी नाम सामने आ जाएगा। ईडी ने वैसे उस आईएएस अधिकारी के रिश्तेदार को पूछताछ के लिए बुलावा जरूर भेजा है। इस कारण आईएएस खेमे में हडक़ंप है और इसकी आग एनडीए सरकार की सेहत पर भी असर डाल सकती है। राष्ट्रीय जनता दल के नेता, आईएएस संजीव हंस के मामले में इसलिए चुप हैं, क्योंकि केस की शुरूआत राष्ट्रीय जनता दल के विधायक रहे गुलाब यादव से हुई थी। इस बार आईएएस संजीव हंस ने भी महिला से बलात्कार किया। यह केस काफी जद्दोजहद के बाद पटना में दर्ज हुआ और प्राथमिक जांच में महिला अधिवक्ता के कई आरोप सही साबित हुए।

ED कुछ कहने को तैयार नहीं

सूत्रों के अनुसार, इसमें जब करीब एक करोड़ रुपए केस दबाने के लिए लेन-देन की बात आई तो ईडी ( ED ) की एंट्री हुई। महिला अधिवक्ता ने ईडी को बताया कि चुप रहने के एवज में उसके बैंक खाते में इन दोनों ने 90 लाख रुपए और एक लग्जरी गाड़ी गिफ्ट की। इसी केस में संजीव हंस के ठिकानों पर छापेमारी और उनसे पूछताछ शुरू हुई तो उनके सरकारी पदों पर रहते हुए कंपनियों को फायदा पहुंचाने और इसके एवज में रुपए लेनदेन के दस्तावेज हाथ लगे हैं। इन्हीं दस्तावेजों में से एक कागज सीएम नीतीश कुमार के बेहद करीबी आईएएस अधिकारी के बेटे की कंपनी का है। इस कंपनी को कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबलिटी के नाम पर भारी राशि देने की बात सामने आ रही है। ईडी ने इसी आधार पर आईएएस के बेटे को बुलावा भेजा है। पहला नोटिस मिल चुका है। नहीं जाने के कारण अब दूसरा जारी होने वाला है, हालांकि ईडी औपचारिक तौर पर इस बारे में कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।