नीतीश की योजनाओं का जादू, NDA को मिली रिकॉर्ड जीत

बिहार के चुनावी अखाड़े से जो रुझान सामने आ रहे हैं, उन्होंने राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ा दी है। पिछली बार 50 सीटों के आंकड़े से नीचे रहने वाली जेडीयू इस बार 80 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाकर चौंकाने वाला प्रदर्शन कर रही है। यह ऐसा पलटवार है जिसने राजनीतिक विश्लेषकों को भी नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है।

कई जानकारों का मानना है कि यह बदलाव नीतीश कुमार की दो दशक की राजनीति और उनके शासन मॉडल के कारण संभव हुआ है। चुनाव के दौरान उनकी छवि एक ऐसे नेता की दिखी, जिन्होंने योजनाओं को जमीनी स्तर तक पहुंचाकर ‘स्कीम पुरुष’ की पहचान मजबूत की।

महिला मतदाताओं का निर्णायक साथ: ‘जीविका दीदी’ हुईं गेमचेंजर

इस अभूतपूर्व बढ़त की मुख्य ताकत महिलाओं का वोट बैंक रहा। नीतीश सरकार ने अपने शुरुआती कार्यकाल से ही महिला सशक्तिकरण को केंद्र में रखा। 2006 में शुरू हुई साइकिल और यूनिफॉर्म योजना इसका पहला बड़ा उदाहरण बनी। जब हजारों बच्चियां सड़कों पर साइकिल चलाकर स्कूल पहुंचने लगीं, तो यह केवल एक सरकारी योजना का असर नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक बन गया।

इसी अवधि में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं को 50% आरक्षण देने का ऐतिहासिक निर्णय हुआ, जिसने उन्हें स्थानीय प्रशासन का आधार स्तंभ बना दिया।

चुनाव से ठीक पहले आया ‘10 हजरिया स्कीम’ नीतीश का सबसे बड़ा दांव साबित हुआ। इस योजना के तहत 1.30 करोड़ जीविका समूह की महिलाओं को 10-10 हजार रुपये सीधे खाते में मिले, जिससे उनका आर्थिक सशक्तिकरण और राजनीतिक झुकाव दोनों मजबूत हुए। करीब 3.5 करोड़ महिला मतदाताओं में से 40% हिस्सेदारी इन्हीं जीविका दीदियों की है, जिसने जेडीयू को निर्णायक बढ़त दिलाई।

शराबबंदी 

4 अप्रैल 2016 को लागू हुई पूर्ण शराबबंदी आज भी ग्रामीण महिलाओं के बीच नीतीश की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। शराब से प्रभावित परिवारों को राहत मिलने के बाद महिलाओं का समर्थन नीतीश के लिए स्थायी वोट बैंक बन गया। इस फैसले पर भले ही कई आलोचनाएं हुईं, लेकिन गांवों में महिलाओं के लिए यह राहत और सुरक्षा का प्रतीक बना रहा, जिसने चुनावी समर्थन को और मजबूत किया।

युवाओं के लिए बड़ा विज़न: भत्ता और क्रेडिट कार्ड स्कीम

महिलाओं के साथ-साथ युवा वोटरों को साधने के लिए भी नीतीश कुमार ने योजनाओं की लंबी श्रृंखला बनाई। 2016 में शुरू हुई ‘निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना’ ने बेरोजगार युवाओं को 2 वर्ष तक प्रति माह 1,000 रुपये की आधारभूत आर्थिक सहायता दी।

इसके बाद आया ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड’, जिसने बिहार के लाखों विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा का द्वार खोल दिया। 4 लाख रुपये तक का ब्याजमुक्त शिक्षा ऋण उपलब्ध होने के कारण कई छात्रों ने बिना आर्थिक बाधा के कॉलेज और प्रोफेशनल कोर्स पूरे किए। इन योजनाओं ने युवा आबादी में सरकार के प्रति भरोसा गहरा किया।

फैमिली-फोकस्ड योजनाएं 

नीतीश कुमार ने एक-एक परिवार तक पहुंचने वाली योजनाओं पर भी खास ध्यान दिया। सामाजिक सुरक्षा पेंशन को सीधे 400 से बढ़ाकर 1,100 रुपये करना लाखों बुजुर्गों और जरूरतमंदों के लिए बड़ी मदद साबित हुआ।

अगस्त 2025 से 125 यूनिट मुफ्त बिजली की घोषणा ने हर घर को सीधी राहत दी। इसके साथ ‘सात निश्चय’ के तहत नल का जल, ग्रामीण सड़कें, शहरी विकास और बुनियादी सेवाओं में बड़े सुधार ने नीतीश मॉडल को जमीन पर मजबूत किया।

जेडीयू की धमाकेदार वापसी का असली सूत्र

इन सभी योजनाओं को जोड़कर देखें तो स्पष्ट है कि नीतीश कुमार ने केवल वादे नहीं किए, बल्कि एक ऐसा सामाजिक ढांचा तैयार किया जो महिलाओं, युवाओं और आम नागरिकों के जीवन में सीधा प्रभाव डालता है। यही कारण है कि 2025 का चुनाव परिणाम सिर्फ एक राजनीतिक जीत नहीं, बल्कि नीतीश के कल्याणकारी मॉडल पर जनता की मुहर है। इन योजनाओं ने जेडीयू की छवि को नई ऊर्जा दी और पार्टी को फिर से मजबूती के साथ सत्ता के केंद्र में खड़ा कर दिया।