सीताराम ठाकुर, भोपाल
मप्र सरकार का दावा है कि अगले पांच सालों में नहरों ( canals ) से सिंचाई क्षमता एक करोड़ हेक्टेयर हो जाएगी। सरकार का ये दावा फेल होता नजर आ रहा है, क्योंकि प्रदेश में 15 हजार किमी से अधिक नहरें कच्ची और सीमेंटेड नहीं है। जिनसे करीब 30 फीसदी पानी सीवेज के जरिए बह जाता है। ऐसे में सिंचाई क्षमता तो विकसित हो जाएगी, लेकिन किसानों को टेल तक पानी मिलने की समस्या का समाधान नहीं हो सकेगा।
39 हजार 866 किमी में canals का निर्माण किया
प्रदेश में वृहद, मध्यम और लघु सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से 39 हजार 866 किमी में नहरों का निर्माण किया गया है। इनमें से 23 हजार 120 किमी नहरें पक्की सीमेंटेड हैं और आज भी 15 हजार 607 किमी नहरें कच्ची यानि बिना सीमेंट वाली हैं। मप्र में पहली बार वर्ल्ड बैंक के सहयोग से 2012 में 51 बांधों का सुदृढ़ीकरण और नहरों की सीमेंटेड लाइनिंग कार्य पर करीब 2300 करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई थी। वल्र्ड बैंक का ये प्रोजेक्ट खत्म हो चुका है और 39 हजार 866 किमी नहरों में से 15 हजार 607 किमी आज भी सीमेंटेड नहीं हो सकी हैं। वैसे नए सिंचाई प्रोजेक्ट पाइप लाइन आधारित ही बनाए जा रहे हैं, लेकिन फिर भी प्रदेश में 250 से अधिक बांधों में सिंचाई नहरों के जरिए ही की जाती है। राज्य सरकार की मानें तो जल संसाधन विभाग के माध्यम से वर्तमान में 41.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। वहीं नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा 8.85 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जा रही है। इस तरह 50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित है।
प्रदेश में नहरों की स्थिति
- यमुना कछार : 4547 किमी नहरें-2395 किमी पक्की – 2152 किमी कच्ची।
- नर्मदापुरम कछार : 4590 किमी नहरें-2056 किमी पक्की-2534 किमी कच्ची।
- बैनगंगा कछार : 7769 किमी नहरें-2390 किमी पक्की-5379 किमी कच्ची।
लाइनिंग में आई दरारें और पैदा हुआ घास
प्रदेश की अधिकांश कच्ची नहरों के ज्वाइंटस में घास आदि पैदा हो गया है जिसकी वजह से लाइनिंग में दरारें आ गई हैं। नहरों की साफ-सफाई और मरम्मत कार्य में दो माह का समय लगता है। केवल बारना परियोजना में ही 100 प्रतिशत लाइनिंग का कार्य हुआ। कोलार परियोजना में 1978-79 में ये कार्य हुआ था। पुरानी लाइनिंग होने की वजह से नहरें छतिग्रस्त हो गई हैं। जिनके मेंटेनेंस पर करोड़ों रुपए खर्च होंगे और सरकार की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं है कि इन्हें ठीक करा सकें।
सिंचाई क्षमता 1 करोड़ हेक्टेयर में पहुंचना संभव नहीं
प्रदेश में निमार्णाधीन सिंचाई योजनाओं के पूर्ण होने पर सिंचाई क्षेत्र जल संसाधन विभाग का 23.66 लाख हेक्टेयर और नर्मदा घाटी विकास विभाग का 43.21लाख हेक्टेयर बढ़ जाएगा। इन योजनाओं के आगामी 5 वर्ष में पूर्ण हो जाने पर प्रदेश की सिंचाई क्षमता 93 लाख हेक्टेयर से ज्यादा हो जाएगा। जबकि नर्मदा घाटी प्राधिकरण द्वारा निर्मित परियोजनाओं से पिछले 15 सालों से 5 लाख हेक्टेयर में ही सिंचाई हो पा रही है। विशेषज्ञ एवं पूर्व ईएनसी पीके तिवारी के अनुसार, अगले पांच सालों में सिंचाई क्षमता एक करोड़ हेक्टेयर में पहुंचना संभव नहीं लगता।
सिंचाई क्षमता बढ़ने का दावा
वर्ष रकबा
2024 – 02.75
2025 – 04.21
2026 – 04.62
2027 – 05.74
2028- 06.34
कुल – 23.66
(लाख हेक्टेयर में)
इन परियोजनाओं से भी हो सकेगी सिंचाई
केन-बेतवा परियोजना, संशोधित पार्वती सिंध परियोजना और एनवीडीए की अन्य प्र्रस्तावित महत्वपूर्ण परियोजनाओं से प्रदेश में 19.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा बढ़ेगी। वर्तमान में केन-बेतवा के निर्माण में 7 साल से अधिक समय लगेगा, टेंडर की प्रक्रिया चल रही है।
मंत्री ने 15 दिन में मांगी रिपोर्ट
प्रदेश में अत्यंत जर्जर और क्षतिग्रस्त नहरों में मरम्मत कार्य करवाने के लिए जल संसाधन मंत्री सिलावट ने 15 दिन के भीतर रिपोर्ट मांगी है। इसके तहत कछारवार पक्की, कच्ची, मुख्य माइनर, सबमाइनर आदि का मेंन्टेनेंस कराने के निर्देश दिए गए हैं।