अब कांग्रेस महापौर मुख्यमंत्री के समक्ष हो सकती हैं भाजपा शरणम गच्छामि

 स्वतंत्र समय, मुरैना

कांग्रेस के विधायक राकेश मावई के 19 जनवरी को केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने के बाद के बाद मुरैना की सरजमीं पर ये कयास लगना शुरु हो गये थे कि अब कांग्रेस छोड़ भाजपा में जाने वाला आगला कोन ? तेजी से चल रही जनचर्चाओं पर गौर करें तो कांग्रेस को तगड़ा झटका देते हुये मुरैना नगर पालिक निगम की महापौर श्रीमती शारदा सोलंकी 1 फरवरी को मुरैना पहुंच रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के समक्ष भाजपा का दामन थाम सकती हैं? लोकसभा चुनाव की दहलीज पर खड़ी कांग्रेस के लिये यह एक गहरा सदमा साबित हो सकता है? और वह भी तब जब कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी आपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के तहत मुरैना आने वाले हैं।
सूत्रों के द्वारा बताया जा रहा है कि दलबदल कानून की मार से बचने के लिये महापौर 9-10 कांग्रेसी पार्षदों को भी अपने साथ भाजपा की शरण में ले जाने के लिये पूर्ण रुप से तैयार हैं? निगम बोर्ड में वर्तमान में मोजूद पार्षदों में से लगभग एक तिहाई पार्षदों के महापौर के साथ दलबदल कर कांग्रेस से भाजपा में जाने का एक तरफ जहां सीधा सा अर्थ है कि आसन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को एक बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा, वहीं मुरैना निगम में ऐतिहासिक दलबदल की घटना होगी? श्रीमती शारदा सोलंकी का परिवार यूं तो कांग्रेस का वफादार माना जाता है, इनके जेठ स्व. बाबूलाल सोलंकी सन् 1980 में काग्रेस से अभिभाज्य मुरैना-श्योपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। वहीं इनके पति राजेन्द्र सोलंकी गत निगम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर महापौर के प्रत्याशी रह चुके हैं।
कांग्रेस में उन्हे मुरैना विधायक दिनेश गुर्जर का कट्टर समर्थक माना जाता है। उन्हे महापौर का टिकट दिलवाने और जिताने का श्रेय भी विधायक दिनेश गुर्जर के हिस्से में ही जाता है। सूत्रों के अनुसार उनके दलबदल के दो मुख्य कारण सामने आ रहे हैं। पहला उनके खिलाफ सत्र एवं जिला न्यायालय में महापौर चुनाव में भाजपा की पराजित उम्मीदवार श्रीमती मीना जाटव द्वारा दायर मामला जो अपने अंतिम मुकाम में है। मीना जाटव ने उन पर आरक्षित सीट पर आरक्षण का गलत फायदा उठाने का आरोप लगाते हुये फरियाद की है कि उत्तर प्रदेश की मूल निवासी होते हुये भी श्रीमती सोलंकी ने फर्जी कागजातों के आधार पर मध्यप्रदेश की मुरैना महापौर की आरक्षित सीट पर चुनाव जीता, उसे शून्य घोषित किया जाये, अगर ऐसा होता है तो श्रीमती सोलंकी को महापौर पद से हाथ धोना पढ़ सकता है? जिसकी संभावना अधिक बताई जा रहीं हैं। दूसरा कारण जो सामने आया है वह है प्रदेश में भाजपा की सरकार होने से कोई उनकी सुनता नहीं और निगम आर्थिक कंगाली के दौर से गुजर रही है जबकि निगम क्षेत्र में विकास ठंडे वस्ते में पड़ा हुआ है। भाजपा में जाने से उन्हें इन दोंनो मामलों में राहत मिल सकती है? विकास न होने की पीढ़ा कांग्रेस के उन पार्षदों की भी है जो महापौर के साथ में भाजपा के दरवाजे की दहलीज पर खड़े हुये हैं कि उनके वार्डों में कोई विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। इसलिये ये लगभग तय माना जा जा रहा है कि आज मुख्यमंत्री के आगमन के समक्ष ही महापौर संग कांग्रेस के लगभग 9 से 10 पार्षद भाजपा शरणम गच्छामी होने जा रहे हैं।