अब कोई नहीं होगा रामलला का मुख्य पुजारी- ट्रस्ट का ऐतिहासिक निर्णय

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़ी एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। राम मंदिर ट्रस्ट ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है, जिसके अनुसार अब मंदिर में मुख्य पुजारी की कोई एक स्थायी भूमिका नहीं होगी। ट्रस्ट ने स्पष्ट किया कि आचार्य सत्येंद्र दास के सम्मान में अब कोई भी मुख्य पुजारी की भूमिका में नहीं होगा।
आचार्य सत्येंद्र दास के निधन के बाद उनकी जगह भरने के लिए मुख्य पुजारी की नियुक्ति नहीं की जाएगी। यह निर्णय श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव, चंपत राय ने साझा किया। उन्होंने बताया कि आचार्य सत्येंद्र दास जी के साथ पहले ही इस विषय पर सहमति बन चुकी थी, और उनके निधन के बाद यह निर्णय लिया गया था कि उनके सम्मान में अब इस पद का कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा।

5 वर्षों में 2150 करोड़ रुपये का ट्रस्ट ने किया खर्च!

मणिरामदास की छावनी में हुई ट्रस्ट की बैठक में आय-व्यय की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में खुलासा किया गया कि राम मंदिर निर्माण पर पिछले पांच वर्षों में कुल 2150 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिनमें से अकेले मंदिर निर्माण पर 1200 करोड़ रुपये खर्च हुए।

सरकार को दिया करोड़ो का टैक्स

इसके अलावा, ट्रस्ट ने सरकार को 400 करोड़ रुपये का टैक्स भी भुगतान किया है। इस बैठक में मंदिर निर्माण की समयसीमा को अप्रैल से बढ़ाकर जून तक करने का भी निर्णय लिया गया है। राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि ट्रस्ट के गठन के बाद, यानी 5 फरवरी 2020 से लेकर अब तक, सरकार को विभिन्न मदों में 396 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है। इसमें 272 करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में, 39 करोड़ रुपये टीडीएस के रूप में, और 14 करोड़ रुपये लेबर सेस के रूप में सरकार को दिए गए हैं। इसके अलावा, पीएफ, ईएसआई पर लगभग 7.4 करोड़ रुपये और इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए 4 करोड़ रुपये का खर्च भी हुआ है।
राम मंदिर ट्रस्ट का यह निर्णय और वित्तीय रिपोर्ट न केवल मंदिर निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहे हैं, बल्कि यह अयोध्या में एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक भी बन रहे हैं।