अब शंकराचार्य ने नई मूर्ति पर उठाया सवाल

स्वतंत्र समय, लखनऊ

बद्री ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती कह रहे हैं कि नए मंदिर में पुरानी मूर्ति को स्थापित करना चाहिए। नई मूर्ति, विराजमान रामलला का अपमान है। पुरानी मूर्ति तभी बदली जाती है, जबकि खंडित हो गई हो। शंकराचार्यों का मंदिर से ऐतराज नहीं है… वहां जो नियम-कायदे तोड़े जा रहे हैं, उस पर नाराजी है।
श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को चिट्ठी लिखकर अपनी बात कह दी है। ये भी बता दिया है कि पूजा-अनुष्ठान शास्त्र-सम्मत नहीं किए गए, तो क्या-क्या हो सकता है। पहले से विराजमान रामलला के साथ नाइंसाफी हो रही है। यही वजह है कि कई साधु-संत इस प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम से दूरी बना रहे हैं। हमें लेकर गलत बातें फैलाई जा रही हैं कि मंदिर का विरोध कर रहे हैं। इस बात को समझो कि मंदिर का नहीं, वहां हो रही गलत चीजों के खिलाफ बोल रहे हैं।

सोशल मीडिया पर बहस

बीते चार-पांच दिन से शंकराचार्य के तर्कों को ये कह कर गलत ठहराया जा रहा है कि जब बरसों से रामलला टेंट में बैठे थे, तब इन्हें नियम-कायदे और शास्त्र क्यों याद नहीं आए? ये भी तर्क दिया जा रहा है कि जब भगवान राम ने रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी, तो क्या वहां मंदिर बन गया था?