मध्य भारत से राजस्थान की यात्रा अब पहले से कहीं अधिक तेज़, सुरक्षित और आरामदायक हो गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा उज्जैन–गरोठ हाईवे (NH-752D) पर लागू की गई नई सड़क व्यवस्था ने मालवा और राजस्थान के बीच आवागमन का चेहरा ही बदल दिया है। इस नए मार्ग के शुरू होने से उज्जैन, इंदौर और आसपास के इलाकों से कोटा और जयपुर की यात्रा का समय काफी घट गया है। उज्जैन से कोटा पहुंचने में अब केवल 3.5 घंटे और जयपुर तक 5.5 घंटे का समय लग रहा है। इससे व्यापारिक यात्राओं के साथ-साथ तीर्थ, विवाह और पारिवारिक यात्राएं भी पहले से अधिक सुगम और किफायती हो गई हैं।
मालवा से राजस्थान का नया गेटवे – तेज़, छोटा और सुविधाजनक रूट
यह हाईवे उज्जैन से गरोठ होकर कोटा तक जाने का सबसे छोटा और सीधा मार्ग बन गया है। पहले जहां यात्रियों को घुमावदार सड़कों और भीड़भाड़ वाले रास्तों से होकर गुजरना पड़ता था, वहीं अब नई सड़क ज्योमेट्री और सिग्नल-फ्री मार्ग के कारण पूरी यात्रा स्मूथ ड्राइव अनुभव में बदल गई है। मालवा क्षेत्र के लोग अब राजस्थान के प्रमुख शहरों—जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर, सालासर और खाटू श्यामजी—तक बिना किसी अनावश्यक ठहराव के आसानी से पहुँच पा रहे हैं। यह रूट विशेष रूप से उन यात्रियों के लिए वरदान साबित हुआ है जो धार्मिक स्थलों की यात्रा पर निकलते हैं या राजस्थान के वेडिंग डेस्टिनेशन तक जाना चाहते हैं।
दिल्ली–मुंबई–वडोदरा एक्सप्रेसवे से डायरेक्ट कनेक्टिविटी
उज्जैन–गरोठ कॉरिडोर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह दिल्ली–मुंबई–वडोदरा एक्सप्रेसवे से जुड़ता है। इसका अर्थ यह हुआ कि अब मध्य भारत से राजस्थान होते हुए दिल्ली या मुंबई तक की लंबी दूरी की यात्राएं भी तेज़ और समयबद्ध हो गई हैं। NHAI के इंजीनियरों के अनुसार, सड़क की ज्योमेट्री को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि वाहनों को बार-बार रुकना न पड़े। इससे न केवल ड्राइव का अनुभव बेहतर हुआ है बल्कि ईंधन की खपत में 25–30% तक की कमी भी दर्ज की गई है। एक्सप्रेसवे नेटवर्क से यह जुड़ाव प्रदेश के औद्योगिक शहरों के लिए भी वरदान बन सकता है, क्योंकि अब माल परिवहन तेज़ी से और कम लागत में संभव हो गया है।
पर्यटन, व्यापार और स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई रफ़्तार
इस हाईवे के खुलने से उज्जैन, मंदसौर, नीमच, झालावाड़ और भीलवाड़ा जैसे शहरों को सीधी कनेक्टिविटी का लाभ मिल रहा है। इससे न केवल व्यापारिक गतिविधियों में तेजी आएगी बल्कि स्थानीय स्तर पर पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। का मानना है कि जयपुर, खाटू श्यामजी और सालासर जैसे धार्मिक स्थलों तक अब कम समय में पहुंचने की सुविधा से तीर्थयात्रियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। वहीं, जयपुर और जोधपुर जैसे वेडिंग डेस्टिनेशन तक अब बिना रुके यात्रा करना आसान हो गया है, जिससे होटल और इवेंट इंडस्ट्री को भी सीधा लाभ मिलेगा।
स्थानीय यात्रियों की राय – “अब सफर पहले से कहीं अधिक स्मूथ और भरोसेमंद”
स्थानीय वाहन चालकों और यात्रियों का कहना है कि नई सड़क के खुलने के बाद उनकी यात्रा का अनुभव पूरी तरह बदल गया है। जहां पहले गड्ढों, सिग्नलों और ट्रैफिक के कारण सफर थकाने वाला हो जाता था, वहीं अब सड़कें चौड़ी, साफ और रुकावट-मुक्त हैं। कई यात्रियों ने बताया कि उज्जैन से कोटा तक का ट्रिप अब पहले से लगभग एक घंटा कम समय लेता है। इसके अलावा रास्ते में मिलने वाली नई सुविधाएं जैसे कि रेस्ट पॉइंट्स, टोल प्लाज़ा पर कैशलेस सेवा, और रीयल-टाइम ट्रैफिक अपडेट्स ने यात्रा को और भी आसान बना दिया है।
विशेषज्ञों का विश्लेषण – “मालवा की अर्थव्यवस्था को मिलेगा सीधा फायदा”
परिवहन विशेषज्ञों के अनुसार, इस हाईवे कॉरिडोर के सक्रिय होने से क्षेत्रीय व्यापार और कृषि परिवहन को गति मिलेगी। उज्जैन और इंदौर के औद्योगिक क्षेत्रों से राजस्थान की मंडियों तक माल भेजना पहले की तुलना में आसान और सस्ता हो गया है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि यह मार्ग पर्यटन और धार्मिक यात्राओं से जुड़े छोटे व्यापारों जैसे होटलों, ढाबों, टैक्सी सेवाओं और टूर एजेंसियों के लिए भी नई संभावनाएं लेकर आया है।
उज्जैन–गरोठ हाईवे बना विकास का नया रास्ता
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि NH-752D ने मालवा और राजस्थान के बीच न केवल दूरी घटाई है बल्कि दोनों राज्यों की आर्थिक, सांस्कृतिक और पर्यटनिक कड़ियों को भी मज़बूत किया है। तेज़ रफ़्तार, बेहतर सड़कें और आसान कनेक्टिविटी के साथ यह हाईवे न सिर्फ यात्रियों के लिए, बल्कि पूरे मध्य भारत के लिए विकास की नई राह खोल रहा है।