NPS New Rules 2025: पीएफआरडीए ने हटाए निवेश निकासी के नियम, अब 3 साल का लॉक-इन पीरियड खत्म

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के सब्सक्राइबर्स के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर है। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) ने एनपीएस के टियर-2 अकाउंट से जुड़े नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन नए नियमों के तहत, अब निवेशकों को अपने पैसे निकालने के लिए तीन साल के लॉक-इन पीरियड का इंतजार नहीं करना होगा। यह कदम निवेशकों को उनके फंड्स पर अधिक नियंत्रण और तरलता प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

पीएफआरडीए द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, यह बदलाव विशेष रूप से उन सरकारी कर्मचारियों के लिए लागू होगा जो एनपीएस में योगदान करते हैं। पहले के नियमों के मुताबिक, यदि कोई सब्सक्राइबर टैक्स छूट का लाभ उठाना चाहता था, तो उसे अपनी निवेश राशि को कम से कम तीन साल तक लॉक रखना पड़ता था। अब इस बाध्यता को समाप्त कर दिया गया है, जिससे यह स्कीम और अधिक आकर्षक बन गई है।

निकासी नियमों में क्या बदला है?

पुराने नियमों के तहत, एनपीएस टियर-2 अकाउंट में निवेश करने वाले सरकारी कर्मचारियों को धारा 80C के तहत टैक्स छूट मिलती थी, लेकिन इसके साथ ही 3 साल का लॉक-इन पीरियड जुड़ा होता था। इसका मतलब था कि वे तीन साल से पहले अपना पैसा नहीं निकाल सकते थे। नए नियमों ने इस शर्त को हटा दिया है। अब सब्सक्राइबर अपनी जरूरत के हिसाब से कभी भी पैसा निकाल सकते हैं, हालांकि टैक्स लाभों के लिए कुछ शर्तें अभी भी लागू हो सकती हैं जिन्हें ध्यान से समझना जरूरी है।

निवेशकों को कैसे होगा फायदा?

इस फैसले का सीधा असर निवेशकों की लिक्विडिटी यानी नकदी प्रवाह पर पड़ेगा। अक्सर लोग एनपीएस में पैसा लगाने से इसलिए कतराते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि उनका पैसा लंबे समय के लिए फंस जाएगा। लॉक-इन पीरियड हटने से यह चिंता दूर हो गई है। अब यह एक तरह से सेविंग अकाउंट की तरह फ्लेक्सिबल हो गया है, जहां आप अपनी सुविधा के अनुसार पैसा जमा कर सकते हैं और निकाल सकते हैं। यह बदलाव विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करना चाहते हैं लेकिन एनपीएस के अच्छे रिटर्न का लाभ भी उठाना चाहते हैं।

सरकारी कर्मचारियों के लिए विशेष राहत

यह नया नियम मुख्य रूप से केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए है। पीएफआरडीए का मानना है कि इससे एनपीएस के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम एनपीएस को म्यूचुअल फंड्स और फिक्स्ड डिपॉजिट जैसी अन्य निवेश योजनाओं के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा। अब कर्मचारी बिना किसी डर के अपनी अतिरिक्त बचत को टियर-2 खाते में डाल सकते हैं, यह जानते हुए कि आपात स्थिति में वे इसे आसानी से निकाल सकेंगे।

क्या है एनपीएस टियर-1 और टियर-2 में अंतर?

एनपीएस में दो तरह के खाते होते हैं: टियर-1 और टियर-2। टियर-1 एक अनिवार्य पेंशन खाता है जिसमें कड़े निकासी नियम होते हैं और यह रिटायरमेंट के लिए होता है। वहीं, टियर-2 एक स्वैच्छिक बचत खाता है। टियर-2 खाता खोलने के लिए आपके पास सक्रिय टियर-1 खाता होना जरूरी है। टियर-2 में आप अपनी मर्जी से पैसा जमा कर सकते हैं और निकाल सकते हैं। नए नियमों ने इसी टियर-2 खाते को और अधिक लचीला बना दिया है।

विशेषज्ञों की राय में, पीएफआरडीए का यह कदम वित्तीय नियोजन को आसान बनाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है। इससे न केवल मौजूदा सब्सक्राइबर्स को फायदा होगा, बल्कि नए निवेशक भी एनपीएस की ओर आकर्षित होंगे।