खंडवा-इंदौर रेलखंड पर ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन का निर्माण वर्ष 1872 में हुआ था। यह स्टेशन विशेष रूप से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख ठहराव बिंदु था, जहां से वे सड़क मार्ग द्वारा तीर्थनगरी ओंकारेश्वर पहुंचते थे। हालांकि, इस रेलवे ट्रैक पर मीटर गेज को ब्रॉडगेज में बदलने का कार्य पिछले लगभग चार वर्षों से चल रहा है, जिसके कारण इस ट्रैक पर ट्रेन सेवाएं ठप हैं। इस परियोजना के पूरा होने पर यात्रियों को फिर से इस मार्ग पर सुविधाजनक रेल सेवाओं का लाभ मिल सकेगा।
ब्रिटिशकालीन ओंकारेश्वर रोड मोरटक्का रेलवे स्टेशन अब अपना ऐतिहासिक अस्तित्व खो चुका है। यह स्टेशन भवन अपनी मजबूती के लिए जाना जाता था, और इसे ध्वस्त करने के लिए मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, जो इसकी निर्माण गुणवत्ता को दर्शाता है। स्टेशन भवन के निर्माण में इस्तेमाल की गई लोहा, लकड़ी, और अन्य सामग्री सैकड़ों वर्षों के बाद भी सुरक्षित है, जो इसकी बेमिसाल इंजीनियरिंग को दर्शाती है।
ब्रिटिश शासन के दौरान, अंग्रेजों ने आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, और राजस्थान को आपस में जोड़ने के लिए हैदराबाद से अजमेर तक की मीटर गेज लाइन का निर्माण करवाया था। इस रेलवे लाइन का उद्देश्य इन राज्यों के बीच आवागमन और वाणिज्यिक गतिविधियों को सुगम बनाना था। मध्य भारत की सबसे बड़ी, लगभग दो हजार किलोमीटर लंबी मीटरगेज रेल लाइन, दक्षिण भारत को उत्तर भारत से जोड़ती थी। इस महत्वपूर्ण रेल मार्ग से यात्रियों की सुविधा के लिए ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन का निर्माण किया गया था। ओंकारेश्वर में स्थित ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, यह स्टेशन बेहद महत्वपूर्ण था।
इस रेलवे स्टेशन का निर्माण 1872 में शुरू किया गया था और इसे 1874 में मात्र दो साल की अवधि में पूरा कर लिया गया था। इसकी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता ने इसे एक प्रमुख स्टेशन बना दिया, खासकर उन यात्रियों के लिए जो इस पवित्र ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आते थे। वर्ष 1995 में, जब केंद्र में नरसिंह राव की सरकार थी, केंद्रीय रेल राज्य मंत्री सुरेश कलमाड़ी ने एक स्पेशल ट्रेन से इंदौर से ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन की यात्रा की थी। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के बाद, जब वे वापस स्टेशन पहुंचे, तो उन्होंने रतलाम रेल मंडल के तत्कालीन *डीआरएम* को स्टेशन के उन्नयन के निर्देश दिए थे।
इसके बाद, स्टेशन भवन के ऊपरी हिस्से को *ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर* की शैली में ढालते हुए इसका स्वरूप धार्मिक महत्व के अनुरूप बनाया गया था, जिससे यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए और भी आकर्षक हो गया। 75 वर्षीय समाजसेवी अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि उनके पिता *बद्रीविशाल मिश्रा* के अनुसार, मोरटक्का रेलवे स्टेशन का निर्माण अंग्रेज शासन काल में मीटरगेज लाइन के साथ हुआ था। अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि वे इस स्टेशन को पिछले 70 वर्षों से देखते आ रहे हैं, और यहां दिनभर में सुबह-शाम केवल तीन-चार ट्रेनें ही आती थीं। उनके बचपन की कई यादें इस स्टेशन से जुड़ी हैं, क्योंकि वे अपने दोस्तों के साथ यहां खेला करते थे।
हालांकि स्टेशन भवन के टूटने का उन्हें दुख है, लेकिन यह भी खुशी है कि दो किलोमीटर दूर एक नया, सर्वसुविधायुक्त ब्रॉड गेज रेलवे स्टेशन का निर्माण लगभग 70 प्रतिशत पूरा हो गया है। इसके वर्ष 2025 के मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है। नए ब्रॉड गेज ट्रैक की स्थापना से ओंकारेश्वर रोड रेलवे स्टेशन देश के बड़े रेलवे स्टेशनों से सीधा जुड़ जाएगा, जिससे ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।