ओंकारेश्वर में ‘मामलेश्वर लोक’ पर भारी विरोध, तीन दिवसीय बंद से बाजार और होटल ठप, तीर्थयात्री परेशान

खंडवा: मध्य प्रदेश की तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में प्रस्तावित ‘मामलेश्वर लोक’ परियोजना के विरोध में स्थानीय निवासियों और व्यापारियों ने तीन दिवसीय स्वैच्छिक बंद का आह्वान किया है। सोमवार से शुरू हुए इस बंद के कारण ओंकारेश्वर के सभी बाजार, होटल, दुकानें और परिवहन सेवाएं पूरी तरह से बंद हैं। इस विरोध प्रदर्शन का सीधा असर भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए देशभर से आए तीर्थयात्रियों पर पड़ रहा है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि ‘मामलेश्वर लोक’ के निर्माण से उनके सदियों पुराने घर और व्यवसाय उजड़ जाएंगे। ‘ओंकारेश्वर बचाओ संघर्ष समिति’ के बैनर तले एकजुट हुए प्रदर्शनकारियों ने सरकार से इस परियोजना को रद्द करने या इसमें संशोधन करने की मांग की है, ताकि किसी का विस्थापन न हो। बंद के चलते ओंकारेश्वर की गलियों में सन्नाटा पसरा है और केवल आवश्यक सेवाओं को ही छूट दी गई है।

क्यों हो रहा है मामलेश्वर लोक का विरोध?

राज्य सरकार उज्जैन के ‘महाकाल लोक’ की तर्ज पर ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर स्थित ममलेश्वर मंदिर के आसपास ‘मामलेश्वर लोक’ का निर्माण करना चाहती है। इस परियोजना के तहत मंदिर परिसर का विस्तार और सौंदर्यीकरण किया जाना है। हालांकि, स्थानीय निवासियों का कहना है कि प्रस्तावित योजना के दायरे में मांधाता पर्वत पर बसे सैकड़ों परिवार और उनकी दुकानें आ रही हैं। उन्हें डर है कि इस परियोजना के कारण उन्हें अपनी पुश्तैनी जमीन और रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ेगा।

संघर्ष समिति का कहना है कि प्रशासन ने बिना किसी संवाद या सहमति के परियोजना की रूपरेखा तैयार की है। कुछ समय पहले जब प्रशासनिक अधिकारी सर्वे के लिए पहुंचे थे, तब भी स्थानीय लोगों ने एकजुट होकर उनका कड़ा विरोध किया था और उन्हें वापस लौटने पर मजबूर कर दिया था।

तीर्थयात्री परेशान, परिवहन ठप

ओंकारेश्वर में इस पूर्ण बंद का सबसे ज्यादा खामियाजा बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को भुगतना पड़ रहा है। दुकानें और होटल बंद होने के कारण उन्हें खाने-पीने और ठहरने के लिए भटकना पड़ रहा है। इसके अलावा, ऑटो, टैक्सी और अन्य स्थानीय परिवहन सेवाएं भी बंद हैं, जिससे यात्रियों को एक स्थान से दूसरे स्थान जाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। कई तीर्थयात्री बिना दर्शन किए ही लौटने को मजबूर हो रहे हैं।

प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर कोई ठोस आश्वासन नहीं देती, उनका आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी बातें नहीं सुनी गईं तो वे इस विरोध को और तेज करेंगे। फिलहाल, प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच गतिरोध बना हुआ है और सभी की निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।