जन्माष्टमी पर मां यशोदा की गोद भरती है महिलाएं, मिलता है संतान सुख

विश्व का एकमात्र माता यशोदा का मंदिर जहां पर मां यशोदा की गोद भरने पर मां यशोदा की कृपा बरसती है और मां यशोदा निःसंतान महिलाओं को संतान का सुख देती है। मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन मां यशोदा की गोद भरने से जल्द मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसी ही मान्यता के चलते इस वर्ष भी यशोदा माता मंदिर में सुबह से ही महिलाओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

इंदौर के खजूरी बाजार में स्थित है माता का मंदिर
इंदौर के खजूरी बाजार स्थित श्री यशोदा माता मंदिर की स्थापना लगभग 235 साल पहले पं. आनंदी लाल दीक्षित ने की थी। इस मंदिर में यशोदा माता की प्रतिमा है, जिसमें माता अपनी गोद में श्रीकृष्ण को लेकर विराजमान है। उनके साथ ही नंद बाबा और दाई मां की भी प्रतिमा विराजित है। दूसरी तरफ श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी चींटी उंगली में लेकर श्रीकृष्ण भगवान खड़े हैं। उनके आसपास राधा और रुक्मिणी विराजमान हैं। कुछ ही दूरी पर दो ग्वाल बाल और उनके साथ गाय हैं जो अपने बछड़े को दूध पिला रही हैं। इनके पास में ही लक्ष्मी नारायण भी विराजमान हैं। मंदिर के वर्तमान पंडित का दावा है कि यह भारत का एकमात्र यशोदा माता का मंदिर है।

45 दिनों में बैलगाड़ी पर आई थी प्रतिमाएं
यशोदा माता मंदिर में सभी प्रतिमाएं उस वक्त जयपुर से इंदौर लाई गई थी। 45 दिनों का सफर तय करके ये प्रतिमाएं इंदौर पहुंची। जहां इन प्रतिमाओं को विधि-विधान के साथ मंदिर में स्थापित किया गया। गोद भराई के लिए यहां एनआरआई महिलाएं भी आती है।

माता की गोद भरती है महिलाएं
यशोदा माता मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर जन्माष्टमी पर माता यशोदा की गोद भराई के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं आती है। माता यशोदा के चमत्कार से जिन महिलाओं को संतान नहीं है उनकी जल्द ही गोद भर जाती है।

बृहस्पतिवार को होती है विशेष पूजा
बृहस्पतिवार को यहां रोज़ाना से अलग खास तरह की पूजा होती है। जिसमें चावल, नारियल और अन्य पूजा की सामग्री से मां यशोदा की गोद भरी जाती है। ऐसा करने के पीछे मान्यता है कि मां यशोदा महिलाओं की सूनी गोद को कृष्ण जैसे पुत्र देकर भर दें। इसके अलावा जन्माष्टमी के दिन या दूसरे दिन भी मां बहुत प्रसन्न होती है और मनचाहे संतान प्राप्ति का मां यशोदा को समर्पित यह विश्व का पहला मंदिर है जहां श्रीकृष्ण को उनकी माता के साथ देखा जा सकता है।