रक्षा बंधन पर ट्रैफिक सिग्नल को बांधी राखी, संगीता तिवारी ने दिया सड़क सुरक्षा का संदेश

रक्षा बंधन का पावन पर्व केवल भाई-बहन के स्नेह और विश्वास का उत्सव नहीं, अपितु जीवन-सुरक्षा और परस्पर उत्तरदायित्व का अद्वितीय प्रतीक भी है। यह वह क्षण है, जब राखी का कोमल धागा वचन और संकल्प में परिवर्तित होकर जीवन की रक्षा का अमर संदेश देता है।

इसी दिव्य भावना को एक विलक्षण रूप में साकार किया यातायात प्रबंधन मित्र संगीता तिवारी ने। भीड़-भाड़ से भरी सड़क के मध्य, उन्होंने एक यातायात सिग्नल को रक्षा-सूत्र बाँधा—मानो वह मात्र लोहे और तार का निर्जीव यंत्र न होकर, प्रत्येक राहगीर का मौन प्रहरी हो। उस क्षण, सिग्नल किसी यांत्रिक उपकरण से बढ़कर एक जागरूक रक्षक बन गया, जो दिन-रात अनगिनत जीवनों की रक्षा का दायित्व निभाता है।

उन्होंने उस सिग्नल से वही वचन माँगा, जो हर बहन अपने भाई से माँगती है—हर संकट, हर चुनौती से रक्षा का अटूट आश्वासन। यह दृश्य देखकर वहां उपस्थित जनों की आंखें श्रद्धा और संवेदना से नम हो उठीं। यह केवल एक प्रतीकात्मक क्रिया नहीं थी, बल्कि सड़क सुरक्षा के प्रति चेतना और संवेदनशीलता का एक सजीव संदेश था।

श्रीमती तिवारी का यह अद्वितीय कार्य हमें स्मरण कराता है कि सुरक्षा केवल शासन का विषय नहीं, बल्कि हम सभी का नैतिक कर्तव्य है। तेज रफ्तार जीवन और भागते समय के इस युग में, एक क्षणिक असावधानी भी जीवन की डोर छीन सकती है। राखी का धागा हमें यह भी सिखाता है कि ‘रक्षा’ का भाव रक्त-संबंधों तक सीमित नहीं, यह समाज के प्रत्येक सदस्य के प्रति हमारी जिम्मेदारी है।

आइए, इस प्रेरणा से सीख लेते हुए, वाहन चलाते समय नियमों का पालन करें, पैदल यात्रियों को सम्मान दें, और सड़कों को केवल मार्ग ही नहीं, बल्कि जीवन-संरक्षक पथ बनाएं। श्रीमती तिवारी जैसे संवेदनशील प्रयास हमें बताते हैं कि बड़ा परिवर्तन छोटे किन्तु सार्थक कदमों से प्रारंभ होता है।

इस रक्षा बंधन पर, हम सभी संकल्प लें—हर जीवन की रक्षा का। ताकि हमारा समाज न केवल सुरक्षित हो, बल्कि संवेदनशीलता और परस्पर विश्वास से भी संपन्न हो।