श्राद्ध पक्ष समापन होने को है। 21 सितंबर रविवार को अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पड़ रही है। जो कि सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या है। इस दिन शुभ योग और चतुष्पद करण का संयोग बन रहा है, जो कि चार गुना शुभ फलदायी माना जाता है। साथ ही इस बार की सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के कारण सर्वार्थ सिद्धी योग निर्मित हो रहे है, जो कि पितृ कर्मों में विशेष फलदायी माने जाते है।
इस अवसर उज्जैन के रामघाट, सिद्धवट घाट और गया कोठा तीर्थ पर हजारों श्रद्दालु अपने पूर्वजों के पिंडदान और तर्पण करने आते है। साथ ही सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर शिप्रा नदी नें स्नान करने का विशेष महत्व है।
वहीं ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला के अनुसार बताया जा रहा है कि इस बार सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या पर सूर्य और बुध कन्या राशि में रहेंगे। बुध हस्त नक्षत्र पर गोचर करते हुए सूर्य के साथ मिलकर कार्यों की सिद्धी प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। चंद्रमा केंद्रीय त्रिकोण की स्थिति में रहेगा और शुक्र व केतु ग्रह के साथ युति बनाएगा। कन्या राशि में बुध आदित्य योग का परिभ्रमण पितृ लोक में विशेष महत्व रखता है।
साथ ही रविवावर के दिन होने वाली अमावस्या तिथि इसलिए भी विशेष है, क्योंकि ये दिन सूर्य का दिन है और पितृ लोक को चंद्रमा के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा प्राप्त होती है। साथ ही चंद्र, केतु और शुक्र की यह युति ज्ञात और अज्ञात पितरों की तृप्ति और दोष निवृत्ति के लिए योग कारक है।
माना जाता है कि ग्रह-नक्षत्रों के गोचर और परिभ्रमण नियम के अनुसार इस अमावस्या पर नवग्रहों में पांच ग्रह ऐसी स्थिति में रहेंगे, जो दशकों बाद पुनः दिखाई देते है। इस कालखंड में पूर्वजों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और धूप, ध्यान, वस्त्रदान और पात्रदान करने से वंश वृद्धि होती है और पितरों को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।