एक पर्व, कई रंग, देखिए कैसे मनाई जाती है दुनिया भर में सावन पूर्णिमा

Rakshabandhan 2025 : रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन के प्रेम का पर्व नहीं, बल्कि यह भारत की विविध परंपराओं और सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक है। देश के हर कोने में यह दिन अलग-अलग मान्यताओं और रस्मों के साथ मनाया जाता है। श्रावण पूर्णिमा पर कहीं गायों की पूजा होती है, तो कहीं समुद्र को नारियल अर्पित कर मछली पकड़ने के नए मौसम की शुरुआत होती है।

उत्तर भारत

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत करता है। बहनें राखी बांधकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं और भाई गिफ्ट देकर अपने प्यार को जताते हैं। इस दिन घरों में पकवान बनते हैं और माहौल उत्सवमय हो जाता है।

महाराष्ट्र और गोवा

यहां के मछुआरे समुद्र देवता को नारियल अर्पित कर नारली पूर्णिमा मनाते हैं। महिलाएं व्रत रखकर शाम को पूजा करती हैं और परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करती हैं। यह परंपरा प्राकृतिक संतुलन और समुद्र के प्रति आभार व्यक्त करने की एक सुंदर मिसाल है।

उड़ीसा

यहां सावन पूर्णिमा को ग्राम पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गायों को सजाया-संवारा जाता है और विशेष रूप से पूजा की जाती है। माना जाता है कि गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। यह परंपरा कृषि और पशुपालन की संस्कृति से जुड़ी है।

दक्षिण भारत

तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में ब्राह्मण समुदाय के लोग इस दिन को अवनि अवित्तम के रूप में मनाते हैं। यज्ञोपवीत (जनेऊ) बदलते हैं और वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर आत्मशुद्धि का संकल्प लेते हैं।

मध्य भारत

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के गांवों में महिलाएं झूले डालती हैं, कजली गीत गाती हैं और प्रकृति के साथ एकाकार होकर उल्लास मनाती हैं। यहां सावन की पूर्णिमा लोक परंपराओं और लोकगीतों से सराबोर रहती है।

पश्चिम भारत

गुजरात और राजस्थान में महिलाएं पवित्र नदियों में स्नान करती हैं, व्रत रखती हैं और तर्पण करती हैं। कई किसान अपने खेतों और हल को भी राखी बांधते हैं, जिससे यह पर्व सिर्फ मानवीय रिश्तों तक सीमित नहीं रहता।

पूर्व और उत्तर-पूर्व

पश्चिम बंगाल और ओडिशा में इस दिन को झूलन पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है, जहां भगवान कृष्ण-राधा की झूलन लीला होती है। वहीं नेपाल में इसे जनई पूर्णिमा कहा जाता है, जहां पुरोहित रक्षासूत्र बांधते हैं।

अन्य क्षेत्रीय मान्यताएं और खास परंपराएं

  • राजस्थान में बहनें भाभी को भी लूंबा बांधती हैं।
  • झारखंड और छत्तीसगढ़ में नाग पूजा और हल पूजा की परंपरा है।
  • उत्तराखंड में इसे ‘श्रावणी’ कहा जाता है और जनेऊ संस्कार किया जाता है।
  • बंगाल में सामूहिक राखी उत्सव होता है जो सद्भावना और भाईचारे का प्रतीक है।
  • पुष्कर में बहनें सरोवर स्नान कर राखी बांधती हैं।
  • ब्राह्मण समुदाय में उपाकर्म और ऋषि तर्पण की परंपरा इस दिन की शुरुआत करती है।