मोहन सरकार का एक महीना पूराः सीएम के 5 मन मोहनी फैसले से मोदी के विजन का संदेश

स्वतंत्र समय, भोपाल

मप्र में मोहन यादव सरकार को शनिवार को पूरा एक महीना हो चुका हैं। पिछले महीने 13 दिसंबर को मोहन यादव ने सीएम पद की शपथ ली थी। उनके एक महीने के कार्यकाल का अगर मोटा-मोटा हिसाब निकाला जाए तो मोहन यादव ने बड़े बैलेंस तरीके से सरकार चलाई हैं। इस दौरान नौकरशाहों को भी अपने फैसलों के जरिए साफ संदेश दिया है कि 18 साल बाद प्रदेश का निजाम बदल चुका है। आम जनता के साथ व्यवहार के तौर-तरीके भी बदल दें। 1 महीने में उन्होंने आईएएस अधिकारियों के थोकबंद तबादले किए। अपने काम के जरिए सीएम मोहन यादव ने प्रधानमंत्री मोदी का विजन और लोकसभा चुनाव दोनों को साधने की कोशिश की है।

मोहन के 5 बड़े फैसले, जिन्होंने मप्र पर डाला असर…

1. लाउड स्पीकर की आवाज धीमी, खुले में अंडे-मांस की बिक्री पर रोक

मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही उन्होंने ताबड़तोड़ फैसले लिए। अपनी पहली कैबिनेट बैठक में उन्होंने धार्मिक स्थलों के लाउड स्पीकर की तेज आवाज और खुले में बिकने वाले मांस पर लगाम लगा दी। उनके इस फैसले से मुस्लिम समाज भी सहमत दिखा और कई जिलों में मुस्लिम समाज आगे भी आया। मस्जिदों से खुद ही लाउडस्पीकर हटा दिए गए।

2. गुना बस हादसे के बाद अभूतपूर्व कार्रवाई

गुना में 27 दिसंबर को बड़ा बस हादसा हुआ था। इस हादसे के बाद मोहन सरकार तत्काल एक्शन में आई। बस हादसे के बाद लापरवाही बरतने के आरोप में प्रमुख सचिव, परिवहन आयुक्त, कलेक्टर, एसपी के साथ ही आरटीओ और अन्य जिम्मेदारों पर भी कार्रवाई कर उन्हें तत्काल हटा दिया। इस तरह की कार्रवाई के जरिए मोहन सरकार ने अधिकारियों को सख्त संदेश दिया कि आम लोगों के बीच ‘गवर्नमेंट ऑफ एक्शन’ की इमेज बनाने की भी कोशिश की जाए। उनके ताबड़तोड़ एक्शन से विपक्ष के कई नेता भी मोहन यादव की तारीफ करते नजर आए थे।

3. प्रदेश के राजस्व नक्शे में बदलाव का फैसला

मोहन सरकार ने संभाग और जिलों की सीमा का निर्धारण भी नए सिरे से कराने का ऐलान किया है। इससे प्रदेश का राजस्व नक्शा भी बदल जाएगा। समस्या यह थी कि कई कस्बे और गांव ऐसे थे जो किसी और शहर या जिला मुख्यालय के करीब थे, लेकिन उनका जिला मुख्यालय कहीं और था, जहां की दूरी अधिक थी। इसकी वजह से लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता था। जैसे पूर्व सीएम शिवराज का क्षेत्र बुधनी और मंडीदीप जैसे कस्बे भोपाल के करीब हैं, लेकिन उनका जिला मुख्यालय सीहोर है। जिसकी दूरी लगभग 70 किलोमीटर है। जिला मुख्यालय पास होने से लोगों के लिए आवागमन सुविधाजनक होगा और समय भी कम लगेगा।

4. जमीन की रजिस्ट्री के साथ नामांतरण का कठोर निर्णय

लोग जमीन खरीद तो लेते हैं, लेकिन नामांतरण बड़ी चुनौती बन जाता है। नामांतरण के लिए लोगों को चक्कर काटने पड़ते हैं। इसमें बहुत भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। मोहन सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए अब रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण भी होगा। इससे आमजनता को राहत मिलेगी। जनता से जुड़े इस मुद्दे पर सरकार ने अब फोकस किया है। अपना घर, अपनी जमीन एक आम नागरिक का सबसे बड़ा सपना होता है। इसमें भ्रष्टाचार से लोगों की पूरी जिंदगी की कमाई संकट में पड़ जाती है। इसे दुरुस्त करने से आमजन को बहुत सुविधा हो जाएगी।

5. ड्राइवर से अभद्रता पर शाजापुर कलेक्टर को हटाया

ट्रक चालकों की हड़ताल के दौरान ड्राइवर से आपत्तिजनक भाषा में बात करने पर शाजापुर कलेक्टर किशोर कान्याल को भी पद से हटा दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोकस गरीब वर्ग पर है। ऐसे में शाजापुर के डीएम को हटाकर मोहन सरकार ने संदेश देने की कोशिश की है कि गरीबों के साथ बदतमीजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उनका खयाल रखा जाएगा। इस एक एक्शन से सरकार ने ब्यूरोक्रेसी को भी साफ संदेश दे दिया कि निजाम बदल चुका है। जनता के साथ व्यवहार के तौर-तरीके भी बदले जाएं। सरकार की रणनीति आम जनता को भी यह संदेश देने की है कि लापरवाही पर अफसरों को भी नहीं बख्शा जाएगा और उनके खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जाएगा।