स्वतंत्र समय, इंदौर
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकताओं में एक राष्ट्र एक चुनाव ( One nation one election ) अब देश की आवाज बनता जा रहा है। इसके तहत देशभर में विभिन्न राज्यों में समितियों का गठन किया गया है, जो इस विचार को जनता के बीच लेकर जाएंगी। इसी कड़ी में, मध्य प्रदेश में बनाई गई समिति के संयोजक पूर्व न्यायाधीश रोहित आर्य और सह-संयोजक इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा इंदौर के शैक्षणिक संस्थान सेज यूनिवर्सिटी में छात्रों से ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर चर्चा की गई।
One nation one election से आचार संहिता बार-बार लागू नहीं होगी
प्रदेश संयोजक रोहित आर्य ने इस अवसर पर कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव ( One nation one election ) से आचार संहिता बार-बार लागू नहीं होगी, जिससे शासन स्थिर रहेगा। संसाधनों का सदुपयोग होगा और समय की बचत होगी। इससे दीर्घकालिक नीतियों का बेहतर क्रियान्वयन होगा और उसका लाभ जनता तक प्रभावी रूप से पहुंचेगा। साथ ही, आर्थिक स्थिरता आएगी, मुद्रास्फीति कम होगी, और चुनावों में मतदाताओं की थकान भी कम होगी। उन्होंने यह भी बताया कि स्वीडन, ब्राजील, जापान और अमेरिका जैसे देशों में एक साथ चुनाव होते हैं, जिससे संसाधनों का बेहतर उपयोग होता है। एक राष्ट्र एक चुनाव केवल प्रशासनिक सुधार नहीं, बल्कि लोकतंत्र को सशक्त और कुशल बनाने का एक प्रयास है।
1967 तक देश में एक ही चुनाव हुआ था
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह निर्णय ऐतिहासिक है यह देश हित में मिल का पत्थर साबित होगा उन्होंने कहा कि राजनीति में रहते हुए उन्हें कई विधानसभाओं और लोकसभा चुनावों का अनुभव हुआ है। उन्होंने अपनी पार्टी से पूछा कि हम पूरे साल चुनाव के मोड़ में रहते हैं, तो काम कब करते हैं। तब उनकी पार्टी ने बताया कि 1984 में यह निर्णय लिया गया था कि देश में एक देश एक चुनाव होना चाहिए। उन्होंने बताया कि जब देश आजाद हुआ और संविधान लागू हुआ, तब 1967 तक देश में एक ही चुनाव हुआ था। इसके बाद व्यवस्था बदल गई। उन्होंने यह भी कहा कि देश हित में यदि कोई सबसे बड़ा कदम हो सकता है, तो वह ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ है।