जिंदगी में मायूसी और उदासी को कभी अपने पास नहीं फटकने देना चाहिए : डॉ. पलोड

संस्कार कॉलेज बेटमा में नव प्रवेशित छात्र-छात्राओं हेतु इंडक्शन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में विद्यार्थीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम बेटमा स्थित कॉलेज के नवीन भव्य परिसर में हुआ। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि महाविद्यालय में आपके नए जीवन की यह शुरुआत है। आपको कॉलेज लाइफ के अनेक अनुभव अब होना शुरु होंगे। अपने करियर और जीवन को बेहतर बनाने हेतु आपको अब सतत बौद्धिक निखार की प्रक्रिया से गुजरना होगा। यहां आपको वो सब देखने को मिलेगा जो आपके स्कूल जीवन मे कभी महसूस नहीं किया।

आपको अपनी सोच को सकारात्मक रखना चाहिए। सकारात्मक दृष्टिकोण से जीवन को कुशल और समृद्ध बनाने के आयाम आपको कॉलेज में दिखाई देंगे। नवप्रवेशित छात्रों को निः संकोच अपनी जिज्ञासाओं के समाधान हेतु संवाद कायम रखना चाहिए। डॉ.शर्मा ने कहा कि हमें रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम के दौर में अपनी पढ़ाई करने का मौका मिल रहा है। अपनी गुणवत्ता को विकसित करने वाले नवीन शिक्षा नीति के अनेक प्रकल्पों से हमें सुधार की तरफ बढ़ने का मौका मिलेगा।

इंडक्शन प्रोग्राम में विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देते हुए उप प्राचार्य और कवि डॉ.श्याम सुन्दर पलोड ने अपने रोचक अंदाज से दिक्षारंभ कार्यक्रम को सार्थक किया। डॉ.श्याम सुन्दर पलोड ने कहा कि जिंदगी में मायूसी और उदासी को हमें कभी पास भी नहीं फटकने देना चाहिए। ख़ुशमिजाजी, उमंग और उत्साह हमारी ऊर्जाओं को द्विगुणित कर देते हैं। अपनी मस्ती को ज़िंदा रखकर जो भी हस्ती बनने की तरफ अग्रसर होता है वो सफलता प्राप्त करता है।

नव महाविद्यालयीन जीवन के अनेक आयाम होते हैं उनमें प्रमुख है हमारे ज्ञान व कौशल का विकास करना। डॉ. पलोड़ ने पाठ्यक्रम, परीक्षा पद्धति और अध्ययन की विभिन्न तकनीकों पर भी प्रकाश डाला। इंडक्शन प्रोग्राम में विद्यार्थियों ने भी अपनी अनेक जिज्ञासाओं को अभिव्यक्त किया। अलग अलग क्षेत्रों की प्रतिभाओं ने भी प्रस्तुतियां दी। कार्यक्रम की रूपरेखा व परिचय प्रो.अभिषेक परमार ने दिया। संचालन प्रो. अर्कराज मनन ने किया।