एक साल की कैद, भारी जुर्माना… फिर भी ई-सिगरेट संसद में कैसे पहुंच गई?

लोकसभा की कार्यवाही उस समय अचानक गर्मा गई, जब बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि सत्र के दौरान टीएमसी के एक सांसद को ई-सिगरेट पीते हुए देखा गया है। यह बयान सुनते ही सदन में हंगामा मच गया। यह मामला सिर्फ राजनीतिक आरोप तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे देश में लागू ई-सिगरेट प्रतिबंध पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

ठाकुर ने स्पीकर ओम बिड़ला से पूछा कि क्या सदन के भीतर ऐसी डिवाइस के इस्तेमाल की कोई अनुमति है। स्पीकर ने तुरंत स्पष्ट किया—किसी भी सदस्य को इसकी मंजूरी नहीं है। इस जवाब के बाद माहौल और गंभीर हो गया और ठाकुर ने संबंधित सांसद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर दी।

ई-सिगरेट क्या होती है?

ई-सिगरेट एक इलेक्ट्रॉनिक स्मोकिंग डिवाइस है, जिसे पारंपरिक सिगरेट के विकल्प के रूप में लॉन्च किया गया था। लेकिन अध्ययनों में यह सामने आया कि यह आम सिगरेट जितनी ही, बल्कि कई बार उससे अधिक खतरनाक हो सकती है। बैटरी से चलने वाली यह डिवाइस एक खास निकोटीन युक्त लिक्विड को गर्म करके भाप बनाती है, जिसे उपयोगकर्ता धुएं की तरह खींचते हैं।

इस ई-लिक्विड में निकोटीन, प्रोपिलीन ग्लाइकोल (PG), वेजिटेबल ग्लिसरीन (VG), फ्लेवर और दर्जनों अन्य केमिकल्स होते हैं। कई बार ‘निकोटीन-फ्री’ नाम पर बेचे जाने वाले उत्पादों में भी छिपी हुई निकोटीन पाई गई है, जो दिमाग और शरीर पर बेहद नकारात्मक प्रभाव डालती है—खासकर किशोरों और युवाओं पर।

कैसे काम करती है ई-सिगरेट?

डिवाइस के अंदर मौजूद हीटिंग कॉइल बैटरी की मदद से गर्म होता है और ई-लिक्विड को वाष्प में बदल देता है। कुछ ई-सिगरेट बटन दबाने से चलती हैं, जबकि कई डिवाइस केवल कश लेने पर सक्रिय हो जाती हैं। कंपनियां इन्हें पेन, पॉड, मॉड जैसे स्टाइलिश डिज़ाइनों में तैयार करती हैं, जिससे युवाओं में यह “सुरक्षित हाई-टेक विकल्प” जैसी गलत धारणा बन जाती है।

भाप भी उतनी ही हानिकारक

बहुत से लोग यह मानते हैं कि ई-सिगरेट में धुआं नहीं होने से यह कम हानिकारक है, लेकिन यह धारणा पूरी तरह भ्रामक है। कई शोधों, खासकर नॉर्थ कैरोलिना यूनिवर्सिटी के अध्ययन में पाया गया है कि इसमें मौजूद PG और VG फेफड़ों में सूजन पैदा कर सकते हैं और अस्थमा जैसी समस्याओं को बढ़ा देते हैं।

भाप में पाया जाने वाला एक्रोलीन नामक केमिकल फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ कैंसर का जोखिम भी बढ़ाता है। WHO की रिपोर्टों में चेतावनी दी गई है कि ई-सिगरेट का नियमित उपयोग दिल के दौरे और स्ट्रोक की आशंका को करीब 30% तक बढ़ा सकता है।

भारत में कब और क्यों लगा प्रतिबंध?

भारत सरकार ने युवाओं में बढ़ती निर्भरता, स्वास्थ्य जोखिमों और कंपनियों द्वारा की जा रही भ्रामक मार्केटिंग को देखते हुए 20 मई 2019 को ई-सिगरेट पर पूरी तरह प्रतिबंध लागू कर दिया।

  • इस प्रतिबंध के बाद देश में ई-सिगरेट का
  • निर्माण,
  • बिक्री,
  • वितरण,
  • आयात या
  • विज्ञापन
  • सब कुछ गैरकानूनी कर दिया गया।

कानून तोड़ने पर सजा

ई-सिगरेट से जुड़े कानून बेहद सख्त हैं।

  • पहली बार पकड़े जाने पर: 1 लाख रुपये तक का जुर्माना और 1 साल तक की जेल
  • दोबारा अपराध करने पर: 5 लाख रुपये तक का दंड और 3 साल तक कारावास