दुनिया का इकलौता देश, जिसके झंडे पर ही बना है उसका पूरा मानचित्र! क्या आप जानते हैं इसका नाम?

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस की यात्रा पर गए. यह उनकी पहली साइप्रस यात्रा थी, और इसी के साथ यह छोटा-सा देश एक बार फिर सुर्खियों में आ गया. साइप्रस यूरोप और एशिया के बीच, भूमध्य सागर में बसा हुआ है. यह भले ही भौगोलिक रूप से छोटा हो, लेकिन इसकी खासियतें बहुत बड़ी हैं – खासकर इसका झंडा।

क्यों खास है साइप्रस का झंडा?

दुनिया में केवल दो ही देशों के झंडों पर देश का नक्शा बना है – साइप्रस और कोसोवो. लेकिन साइप्रस पहला ऐसा देश है, जिसने अपने झंडे पर खुद का नक्शा दर्शाया. सफेद पृष्ठभूमि पर भूरे रंग में साइप्रस का नक्शा बना होता है. इसके नीचे दो हरी जैतून की टहनियां होती हैं, जो शांति और एकता का प्रतीक हैं. इस झंडे को साल 1960 में अपनाया गया था, जब साइप्रस ने ब्रिटेन से आज़ादी पाई थी. यह झंडा देश के सभी हिस्सों को जोड़ने और शांति बनाए रखने के इरादे से बनाया गया था.

साइप्रस का इतिहास और विवाद

साइप्रस में दो प्रमुख समुदाय रहते हैं – ग्रीक मूल के लोग और तुर्की मूल के लोग. आजादी के कुछ सालों बाद, 1974 में तुर्की ने साइप्रस के उत्तरी हिस्से पर कब्जा कर लिया और वहां अपनी सेना तैनात कर दी. तब से लेकर आज तक साइप्रस दो हिस्सों में बंटा हुआ है. तुर्की, उत्तर साइप्रस को एक अलग देश मानता है, जबकि बाकी पूरी दुनिया उसे साइप्रस का ही हिस्सा मानती है. यह विवाद आज भी पूरी तरह सुलझा नहीं है.

भारत और साइप्रस का मजबूत रिश्ता

भारत हमेशा से साइप्रस की एकता और अखंडता का समर्थन करता आया है. जब भी तुर्की, पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर को लेकर भारत पर बयानबाज़ी करता है, भारत उसे करारा जवाब देते हुए साइप्रस विवाद की याद दिलाता है. यह बताता है कि तुर्की खुद किसी दूसरे देश के हिस्से पर कब्जा किए बैठा है, तो उसे दूसरों को सलाह देने का हक नहीं है.