अभ्यास मंडल द्वारा आयोजित 65वीं व्याख्यान माला में प्रदेश भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और युवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. निशांत खरे ने युवा, परिवार और देश के भविष्य से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत रूप से अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि यदि परिवार मजबूत रहेगा और टूटने से बचेगा, तभी युवाओं में संस्कार टिके रहेंगे, और संस्कारशील युवा ही श्रेष्ठ भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
युवा कौन? बदलाव की क्षमता ही असली पहचान
डॉ. निशांत खरे ने अपने वक्तव्य की शुरुआत यह स्पष्ट करते हुए की कि केवल उम्र के आधार पर किसी व्यक्ति को युवा मान लेना पर्याप्त नहीं। उनके अनुसार युवा वही है जिसमें परिवर्तन लाने की क्षमता हो, असफलता से ताकत मिलती हो, सोच में सकारात्मक अंतर हो और जो भविष्य के लिए एक बड़ा सपना देख रहा हो। उन्होंने कहा कि आज कई लोग युवावस्था में होने के बावजूद थकान से भर चुके हैं, जबकि युवाओं की असली पहचान ऊर्जा और बदलाव की इच्छा से होती है।
भारत—दुनिया की सबसे युवा आबादी वाला देश
उन्होंने वैश्विक आंकड़ों का उल्लेख करते हुए बताया कि भारत की आबादी अब लगभग 150 करोड़ के करीब पहुँच रही है और इसमें 26% लोग 15 से 30 वर्ष की आयु के बीच हैं। यदि उम्र की सीमा को थोड़ा बढ़ाया जाए तो युवा वर्ग की संख्या 66% तक पहुँच जाती है। उन्होंने कहा कि यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका की सम्मिलित युवा आबादी से भी अधिक युवा अकेले भारत में हैं। यह संख्या भारत को विश्व में नेतृत्व की मजबूत क्षमता देती है।
नौकरी नहीं, उत्पादकता की सोच अपनाना होगी जरूरी
डॉ. खरे ने स्पष्ट कहा कि 90 करोड़ युवा यदि ठान लें, तो भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता। लेकिन इसके लिए युवाओं को यह समझना होगा कि उन्हें केवल नौकरी की तलाश में नहीं रहना चाहिए, बल्कि उत्पादकता को अपनाना चाहिए। दुनिया के किसी भी देश या सरकार के लिए इतनी बड़ी संख्या में नौकरियां उपलब्ध कराना संभव नहीं, इसलिए युवा वर्ग को खुद को सृजनशील और योगदानकर्ता बनाना होगा।
जानकारी का प्रवाह तेज, लेकिन सत्य चुनौती में
उन्होंने वर्तमान समय की समस्या पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज जानकारी की गति तेज हो चुकी है, लेकिन उसकी प्रमाणिकता चुनौती बन गई है। जीवनशैली से जुड़ी चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, और पाश्चात्य प्रभाव के कारण भारतीय समाज कई मूल्यों से दूर होता जा रहा है। उन्होंने बताया कि भारत में आत्महत्या के मामलों की बड़ी वजह परिवारों का बिखरना है। संयुक्त परिवार के टूटने से संवाद और भावनात्मक सहयोग कम हुआ, जिससे युवाओं में मानसिक तनाव और अलगाव बढ़ा है।
परिवार बचेगा तो संस्कार और श्रेष्ठता दोनों बचेंगे
डॉ. खरे के अनुसार भारत में समरसता, स्वदेशी भावना, नागरिक कर्तव्य और सामाजिक संरचना को मजबूती की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इंदौर की यातायात समस्या केवल नियमों से नहीं, बल्कि जनता की जागरूकता से सुधरेगी। यही सिद्धांत समाज और परिवार दोनों पर लागू होता है। जब तक परिवार मजबूत नहीं होगा, संस्कार और श्रेष्ठता भी कमजोर होती जाएँगी।
मीडिया, युवाओं और समाज के लिए सुझाव
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. राकेश सिंघई ने कहा कि मीडिया को भी विश्वसनीयता बढ़ाने और सही संदेश प्रसारित करने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी घटनाओं को नाम देकर भ्रम फैलाने के बजाय युवाओं को सही दिशा की जरूरत है। समाज को भी यह समझाना होगा कि वैवाहिक, सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों की समझ आज की पीढ़ी के लिए आवश्यक है।
कार्यक्रम में गरिमामय उपस्थिति और सम्मान
व्याख्यान माला का शुभारंभ विभिन्न अतिथियों की उपस्थिति में हुआ। स्वागत दीप्ति गौर, बृजेंद्रसिंह धाकड़, स्वप्निल व्यास और आदित्य प्रताप सिंह ने किया। सचिव माला सिंह ठाकुर ने व्याख्यान माला की जानकारी दी। संचालन डॉ. पल्लवी अढाव ने किया और आभार प्रदर्शन गोतम कोठारी ने किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह पूर्व संभाग आयुक्त प्रभात पाराशर और सुरेश मिंडा ने भेंट किए।
अभ्यास मंडल की इस श्रृंखला में अगला व्याख्यान रविवार को होगा, जिसमें सेवानिवृत्त कैप्टन मीरा दवे “नई नेतृत्व से बढ़ता नागरिक विश्वास” विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत करेंगी। यह कार्यक्रम शाम 6 बजे जाल सभागृह में आयोजित होगा।