हमेशा वो ही Country आगे बढ़ा, जिस देश के समाज में देशभक्ति का भाव है: विसपुते

स्वतंत्र समय, झाबुआ

स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र ( छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश ) के प्रचारक श्री दीपक विसपूते ने कहा कि दुनिया का इतिहास बताता है कि जिस देश (Country) का समाज अपने देश के भक्ति के भाव के साथ है वही देश दुनिया में आगे बढ़ सकता हैं। तत्कालीन महापुरुषों ने हिंदू समाज को कायर तो कह दिया लेकिन हिंदू समाज की कायरता को मिटाने का प्रयास किसी महापुरुष ने नहीं किया। हिंदू समाज की कायरता को दूर करने का प्रयास डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी ने आज से सौ वर्ष पूर्व संघ की स्थापना के साथ शुरू किया। उन्होंने आम आदमी को समर्थ सक्षम बनाने के लिए प्रयास शुरू करें। भारत का आम आदमी सनातनी हैं वह हिंदू है। भारत एक हिंदू राष्ट्र है। भारत एक प्राचीन राष्ट्र है , यहां देशभक्ति के भाव जागरण की आवश्यकता है।

आने वाले 20 वर्ष भारत देश (Country) के लिए निर्णायक है

दुर्भाग्य से हमारे देश में देशभक्ति सीखाने का काम नहीं हुआ। आने वाले 20 वर्ष भारत देश (Country) के लिए निर्णायक है। इस भारत के लिए मैं क्या कर सकता हूं इस तरह का संकल्प अपने मन में धारण करें। एक दिव्य , दिग्विजय , समर्थ भारत दुनिया का नेतृत्व करने वाला भारत बनाने की दिशा में हमें संकल्प लेना है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं, लेकिन मैं अपने अंतरदृष्टि से देख रहा हूं कि जगत माता भारत माता, जगत सिंहासन पर आरूढ़ होकर अपने अभयकरो से दुनिया का मार्गदर्शन कर रही है। दुनिया का इतिहास बताता है कि जिस देश का समाज अपने देश के भक्ति के भाव के साथ है वही देश दुनिया में आगे बढ़ सकता हैं।  उक्त प्रेरणादायी विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मध्य क्षेत्र ( छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश ) के प्रचारक श्री दीपक विसपूते जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बौद्धिक एकत्रीकरण आयोजन में व्यक्त किए।

एक निजी गार्डन में संपन्न हुए इस आयोजन में जिला संघचालक श्री मानसिंह भूरिया व नगर संघचालक श्री प्रेमअदीप पंवार मंचासीन थे। उन्होंने कहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सूत्रपात 1925 में नागपुर में हुआ था। आज चलते-चलते 100 वर्ष हो गए बहुत छोटे स्वरूप में काम की शुरुआत हुई। उस समय अनुकूल वातावरण नहीं था अंग्रेजों से संघर्ष का समय था । उस समय तत्कालीन सभी लोग लड़े और अपने-अपने स्तर से देश को खड़ा करने का और जगाने का प्रयत्न करते रहे। भारत की धरा पर रहने वाला समाज चिरंजीवी समाज है , वह चेतनायुक्त है और यही कारण है कि जब-जब भी सुधार की जरुरत हुई , समाज के भीतर से ही लोगो ने आगे आकर नेतृत्व नेतृत्व किया। यह कोई 10 , 20 , 50 वर्षों से नहीं हजारों हजारों वर्षों से लगातार होता आ रहा है। समाज के लिए काम करना देश के लिए काम करना , यह हमारा भगवान है इस भावना के साथ सारे महापुरुषों ने काम किया। हम दुनिया के नक्शे पर अगर देखे तो पाते हैं कि कई महान संस्कृतियां बनी , ज्ञान विज्ञान भौतिक वैभव सहित हर क्षेत्र में आगे रही लेकिन कुछ समय बाद वह समाप्त हो गई , उनका कोई नाम लेवा नहीं रहा लेकिन आज भारतीय संस्कृति की ध्वजा लगातार लहरा रही है। हजारों हजार वर्ष से हमारा सनातन विचार लगातार जारी है हम मूल्य आधारित जीवन जीते हैं। इससे हम आज भी बने हुए और मूल्ययुक्त समाज हर परिस्थिति में बना रहता है। समाज के योग्य लोग , श्रेष्ठ लोग जैसा आचरण करते हैं , उसका परिणाम समाज पर पड़ता है। भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं गीता में कहा है कि समाज के श्रेष्ठजन जैसा व्यवहार करते हैं उसका प्रभाव समाज पर पड़ता है , समाज उनका अनुसरण करता है।

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से लेकर संघ संस्थापक डॉ हेडगेवार तक हम देखते हैं कि सभी का जीवन देश के लिए रहा । सनातन धर्म के मूल्य की प्रतिष्ठा के लिए हमारे महापुरुषों ने अपना जीवन लगा दिया। राजा दशरथ के गुरु ने उनसे अपने पुत्रों को मांगा क्योंकि उस समय आसुरी शक्तियों का बड़ा बोलबाला था और वह जनमानस और संतों को परेशान कर रही थी। एक तरह का आतंकवाद था , उन आतंकवादियों का संहार करने के लिए भगवान राम ने प्रण किया था कि मैं पूरी सृष्टि को निशीचर विहीन कर दूंगा। वो चाहते तो कह देते कौशल प्रदेश , अयोध्या या भारत भूमि को में निशिचर विहीन करूंगा लेकिन उन्होंने समस्त प्राणियों के हित में प्रण लिया और इसके लिए वह एक सामान्य मानव की तरह 14 वर्ष वनवास में रहे और सम्पूर्ण समाज का सहयोग लेते हुए अपने प्रण को पूर्ण किया। स्वर्णपुरी लंका पर विजय पाने के बाद लक्ष्मण जी ने जब उन्हें कहा कि आप यही बस जाइए हम आपकी सेवा करेंगे तब उन्होंने कहा , जन्मभूमि मेरे लिए स्वर्ग से महान है और उन्होंने जन्म भूमि और राष्ट्र भूमि का महत्व दर्शाया। भारत भूमि पर जब मुगलों का आक्रमण हुआ और राजा रजवाड़े भी हार गए , महिलाओं और बच्चों पर घोर अत्याचार किए गए। जनता का हौसला कम पड़ गया तब इस देश में साधु संत और महात्माओं ने राष्ट्रीय जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए भक्ति आंदोलन खड़ा किया। मुगलों के अत्याचार इतने अधिक थे कि 400 साल तक हम हमारे देश में कुंभ का मेला नहीं लगा पाए।

लोगों का मंदिरों में जाना बंद हो गया दक्षिण भारत में विजयनगर साम्राज्य पूरी तरह तहस-नहस कर दिया गया और वहां के राजा कृष्णदेव राय की हत्या कर मुगलों ने उनके सर को काटकर शौचालय में लगा दिया और उसके ऊपर मलमूत्र करते थे। सनातन और भारत को कुचलने के लिए ऐसी हजारों घटनाएं भारत में हुई लेकिन समय-समय पर बलिदानी महापुरुषों ने समाज के भीतर खड़े होकर जागरण का काम किया। इस क्रम में गुरु तेग बहादुर , गुरु गोविंद सिंह , महाराष्ट्र से समर्थ रामदास और छत्रपति शिवाजी महाराज , राजस्थान की धरती पर महाराणा प्रताप , मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में स्वामी प्राणनाथ की प्रेरणा से राजा छत्रसाल खड़े हुए इसी तरह असम की धरती पर लाचित बुरफूकेन ने युवाओं को प्रेरित कर दुश्मनों को हराया।