22 अप्रैल 2025 का वो दिन जिसने पूरे देश की रूह को हिला कर रख दिया। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों के बर्बर हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई, जिनमें भारतीय नौसेना के बहादुर लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और उत्तर प्रदेश के वीर सपूत शुभम द्विवेदी भी शामिल थे। लेकिन आज, ठीक 15 दिन बाद, भारत ने अपने शहीदों की कुर्बानी का बदला लेकर दुनिया को दिखा दिया कि जब देश के सपूतों पर हमला होता है, तो जवाब गूंज बनकर आता है। ऐसी ही कार्रवाई के भारतीय सेना ने बुधवार तड़के “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और POK में मौजूद आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया। एक-एक निशाना सटीक और तगड़ा था। यह सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि शहीदों के परिजनों के दिलों में उठे सवालों का न्यायपूर्ण उत्तर था।
बलिदान की सच्ची श्रद्धांजलि
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की मां, आशा नरवाल, ने अपने बेटे के शौर्य को याद करते हुए कहा,“मेरे विनय ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए। आज सरकार और सेना ने जो जवाब दिया, वो उसके बलिदान की सच्ची श्रद्धांजलि है। हमें गर्व है कि हम इस देश के नागरिक हैं। हमारी सेना को ऐसे ही आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देते रहना चाहिए।”
हर शब्द में गर्व था, हर आंसू में साहस।
उधर, शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या ने नम आंखों से कहा, “ये मेरे पति के बलिदान का असली सम्मान है। प्रधानमंत्री मोदी और हमारी सेना ने जो किया, उसने हमारा विश्वास और मजबूत किया है। आज मुझे यकीन है, मेरे पति को शांति मिली होगी।” शुभम के पिता, संजय द्विवेदी, ने भी गर्व के साथ कहा,“सेना को सलाम, पीएम मोदी को धन्यवाद। आज देश ने दिखा दिया कि हमारे वीरों की शहादत व्यर्थ नहीं जाती।”
चुप्पी का गरजता जवाब
“ऑपरेशन सिंदूर” महज एक मिलिट्री स्ट्राइक नहीं था, यह था भारत की चुप्पी का गरजता हुआ जवाब। यह था उन आंसुओं की आवाज़, जो चुपचाप बहते रहे, पर अब विजय का उत्सव बन गए। आज जब पूरा देश गर्व से झूम रहा है, तब हर नागरिक की आंखों में अपने सपूतों के लिए सम्मान है, और दिलों में एक ही आवाज़