गौरव बावनकर/पांढुर्णा : संतरांचल क्षेत्र में महाराष्ट्रीयन परंपरा के अनुसार लोगों ने होलिका दहन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। शाम ढलते ही शुभ मुहूर्त में प्रत्येक घरों में लकड़ी व कंडे की प्रतिकात्मक होलिका पूजन करके आग प्रज्वलित की गई। होलिका दहन की परंपरा पुरातन काल से भक्त प्रह्लाद को पौराणिक गाथाओं से प्रेरित है। इसे संपूर्ण भारत वर्ष में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। होलिका दहन को बुराइयों के दहन प्रतीक के रूप में भी माना जाता है। होलिका दहन का यह पर्व नगर सहित संपूर्ण ग्रामीण अंचलों में धूमधाम से मनाया गया।
धुरंडी पर्व पर क्षेत्र हुआ रंगीन:- होलिका दहन के दूसरे दिन संतरांचल में रंगो के त्यौहार होली पर्व बड़े ही उत्साह से मनाया गया। जहा बच्चे से लेकर युवा, महिलाएं व पुरुषों ने इस पर्व पर रंग व पानी एक दूसरे के साथ खेलकर त्यौहार मनाया। सुबह से ही पिचकारियों में विभिन्न रंगों का पानी भर कर बच्चे एक दूसरे पर फेकते नजर आये तो युवा महिलाए अबीर गुलाल से सुखी होली खेलती दिखी। यूवाओं की टोलियां जमकर, अबीर, गुलाल और रंग की बरसात करती नजर आई।
गली और मोहल्ले में सुबह से ही गलियां रंग से सराबोर हो गई। कुछ लोग इस दौरान प्रतिबंधित पक्के रंगो का भी प्रयोग किये जाने की भी जानकारी मिली। एक नकारात्मक पहलू भी देखने को मिला जहा लोग शराब के नशे में धुत होकर वाद विवाद करते नजर आये रंग में भंग को रोकने पुलिस का पहरा सख्त रहा। नगर के चौराहों एवं मार्गों पर पुलिस की पैनी नजर रही।इस दौरान पुलिस के गश्ती वाहन सहित डायल 100 वाहन आदि शांती व्यवस्था बहाल करने हेतु नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रमण करते रहे। रंग पंचमी को होली के पावन त्यौहार का समापन किया जायेगा।