गुजराती गर्ल्स कॉलेज में 38 वर्षों से अकाउंट्स और टैक्सेशन की वरिष्ठ प्राध्यापक के रूप में सेवाएं दे रही शिक्षिका एवं RPL माहेश्वरी कॉलेज, इंदौर की वर्तमान सचिव हाल ही में विवादों में आ गई हैं। कॉलेज में सुधारात्मक कदम उठाने की उनकी पहल को लेकर प्राचार्य और समाज के एक वर्ग की ओर से विरोध जताया जा रहा है।
सुधार की कोशिशें बनी विवाद का कारण
- सचिव ने पद संभालते ही कॉलेज में कई सुधारात्मक बदलावों की दिशा में कदम बढ़ाए। इनमें—
- मैन्युअल अकाउंटिंग को कंप्यूटराइज्ड सिस्टम में बदलने का प्रयास
- कॉलेज परिसर में सीसीटीवी कैमरे रेगुलराइज़ कराने की पहल
- सिक्योरिटी गार्ड नियुक्त करने का प्रयास
- फीस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर लागू करने की पहल, ताकि वित्तीय पारदर्शिता बनी रहे
हालांकि, इन प्रयासों को कॉलेज प्राचार्य ने आर्थिक हितों से जुड़ा बताते हुए नापसंद किया। इसके बाद सचिव के खिलाफ स्टाफ और छात्रों के जरिए मुहिम छेड़ी गई। आरोप है कि उनके खिलाफ नारेबाज़ी करवाई गई, धमकियाँ दी गईं और सोशल मीडिया पर उनके साथ-साथ प्रबंधन के खिलाफ भी स्टेटस लगाए गए।
परिवार का सामाजिक योगदान
सचिव का परिवार माहेश्वरी समाज से लंबे समय से जुड़ा रहा है। उनके दादाजी नाथूलाल जी राठी माहेश्वरी समाज के प्रथम अध्यक्ष रहे और वैष्णव ट्रस्ट के ट्रस्टी के रूप में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह से सम्मानित भी हुए। पिता भी समाजसेवा में सक्रिय रहे। वहीं, पति डॉ. मोहन सोनी ने 40 वर्षों तक इंदौर क्रिश्चियन कॉलेज में वरिष्ठ प्राध्यापक के रूप में सेवाएं दीं।
समाज की एकजुटता पर सवाल
सचिव का कहना है कि उनके सुधारात्मक प्रयासों को कुछ लोग व्यक्तिगत स्वार्थ में प्राचार्य के साथ मिलकर विरोध कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समाज एकजुट नहीं रहा, तो वह दिन दूर नहीं जब माहेश्वरी कॉलेज समाज के नियंत्रण से बाहर हो जाएगा।
समाज से प्रतिक्रिया की अपेक्षा
उन्होंने कहा— “मैंने केवल कॉलेज और समाज के हित के लिए काम किया है। अब समाज की प्रतिक्रिया और सहयोग अपेक्षित है, ताकि संस्थान का भविष्य सुरक्षित रह सके।”