हमारा पानी, हमारी ज़िम्मेदारी, अभ्‍यास मंडल का “जल संवाद” आयोजित, इंदौर को जल-संवर्धन शहर बनाने की पहल

अभ्यास मंडल द्वारा आज 27 जून को प्रेस क्लब इंदौर में “हमारा पानी, हमारी ज़िम्मेदारी” विषयक खुला जल संवाद आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था की सचिव डॉ. माला सिंह ठाकुर ने की, जिन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मानसून के आरंभ से ही वर्षा जल संरक्षण पर ध्यान देना बेहद आवश्यक है।

जल ऑडिट की ज़रूरत – अनिल भोजे

विषय प्रवर्तन के बाद, अनिल भोजे ने सुझाव दिया कि शहर में जल ऑडिट प्रणाली विकसित की जानी चाहिए। योजनाओं को समयबद्ध तरीके से लागू करने हेतु यह एक अनिवार्य कदम होगा।

भूमिगत जल संकट – कुणाल भंवर

युवा वक्ता कुणाल भंवर ने चेतावनी दी कि भूजल का स्तर खतरनाक रूप से घट रहा है और कई शहरों में पीने योग्य पानी का संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह विषय जल्द से जल्द सुधरने की आवश्यकता है।

सड़कों पर जल संचयन – गिरधर मूंदड़ा

स्थानीय विकास योजनाओं पर बोलते हुए गिरधर मूंदड़ा ने कहा कि चैंबर के निर्माण और सड़क निर्माण के समय मिट्टी में ऐसे ढांचे बनाए जाएं जिससे बरसात का पानी धीरे-धीरे भूमिगत हो सके।

कविता में संदेश – सदाशिव कौतुक

कवि सदाशिव कौतुक ने “समुद्र कहता है…” कविता के माध्यम से जल संरक्षण का मार्मिक संदेश साझा किया – “मैं तुम्हें पानी देता हूं, और तुम मुझे सहेजकर रखो।”

नर्मदा जल प्रबंधन – गौतम कोठारी

नर्मदा संगम के महत्व पर बोलते हुए गौतम कोठारी ने बताया कि पीथमपुर क्षेत्र में प्राकृतिक जल संचयन की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं, लेकिन सरकार इस दिशा में उचित कदम नहीं उठा रही।

घरेलू भूमिका ज़रूरी – श्याम पांडे

श्याम पांडे ने कहा कि जल संरक्षण की शुरुआत हर घर से ही होती है। उन्होंने लोगों से छतों पर जल संचयन और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी स्थापित करने का आह्वान किया।

छत पानी अवशोषण – डॉ. रुपेश

डॉ. रुपेश ने सलाह दी कि मकानों की छतों पर आने वाले वर्षा जल को संग्रहित कर नीचे की मिट्टी में धीरे-धीरे प्रवाहित करने की व्यवस्था होनी चाहिए।

जल साक्षरता अभियान – डॉ. ओ. पी. जोशी

जल पर चार्ट और जानकारी द्वारा जल साक्षरता फैलाने का सुझाव देते हुए डॉ. ओ. पी. जोशी ने पानी के अवांछित उपयोग के बारे में जानकारी देने वाली सामग्री वितरित की।

जल संकट का सामाजिक प्रभाव – डॉ. एस. एल. गर्ग

डॉ. एस. एल. गर्ग ने विचार व्यक्त किए कि सिर्फ पानी का ही नहीं, बल्कि लोगों की आँखों में भरोसे का पानी भी खत्म हो रहा है। उन्होंने जल संरक्षण को सामुदायिक मुद्दा बताते हुए चिंतित रूप से यह बताया कि यह विषय अत्यंत गंभीर है।

नगर निगम की जिम्मेदारी – डॉ. दिलीप वाघेला

डॉ. दलीप वाघेला ने नगर निगम की भूमिका पर विशेष बल दिया और कहा कि स्थानीय प्रशासन को जल संरचना और जल प्रबंधन की योजना में अधिक सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

बाहरी सहयोग और साझेदारी – हरे राम बाजपेई

हरे राम बाजपेई ने बताया कि अभ्यास मंडल ने इस अभियान को नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण में भी उठाया है और उनकी तरफ से सहयोग की उम्मीद जताई है।

घर-घर जल योद्धा: पार्षद सोनाली सिमरोठ

पार्षद सोनाली सिमरोठ ने कहा कि हर मोहल्ले और घर में ‘जल योद्धा’ तैयार किए जाएं, जो जल क्रांति का संदेश घर-घर पहुंचाएं।

भौतिक जल उपयोग की जागरूकता – संदीप नरुलकर

संदीप नरुलकर ने ध्यान दिलाया कि सतह पर जितना पानी उपलब्ध है, उससे कहीं अधिक उसका व्यर्थ उपयोग हो रहा है। उन्होंने सड़क धुलाई और गैर-आवश्यक पानी उपयोग जैसे मुद्दों पर जनता को सतर्क रहने का आह्वान किया।

जल संवर्धन सुझाव – अरविंद जोशी और डॉ. मुखेश चौहान

अरविंद जोशी द्वारा दी गई बातों में जल संवर्धन योजना और महत्व शामिल थे, जबकि डॉ. मुखेश चौहान ने बताया कि केवल 20% वर्षा जल को ही संरक्षित किया जा पा रहा है, बाकी 80% व्यर्थ चला जाता है – यह सचेत करते हुए चिंतनशील सुझाव दिए गए।

 राष्ट्रव्यापी अभियान की ओर – रामेश्वर गुप्ता व समापन

अभ्यास मंडल के अध्यक्ष रामेश्वर गुप्ता ने एक शपथ-पत्र ग्रहण कराया जिसमें ‘हर बूंद का महत्व समझना’ विषय को स्वीकृति दी गई। संवाद का समापन इस संकल्प के साथ किया गया कि यह केवल एक चर्चा नहीं, बल्कि जल संरक्षण का निरंतर अभियान बनेगा, जिसमें जन भागीदारी के साथ इंदौर को जल-संरक्षित शहर बनाया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. स्वप्निल व्यास ने किया और आभार वैशाली खरे ने व्यक्त किया।