दोखाधड़ी का शिकार हुई पद्मश्री जनक पलटा सीबीआई ने किया केस दर्ज :

एक आम नागरिक अपने खून पसीने से कमाया हुआ पैसा बैंक में रखता है ताकि वह सुरक्षित रहे और जरुरत पढ़ने पर उसका उपयोग कर सके लेकिन अगर वह पैसा बैंक में भी सुरक्षित न रहे तो आम जनता अपने पैसे को सुरक्षित रखने के लिए क्या करे ?जी हाँ आपको बता दे की एक ऐसा ही मामला इंदौर शहर में सामने आया है जहा यह स्कैम किसी आम आदमी के साथ नहीं बल्कि एक लोकप्रिय समाज सेविका के साथ हुआ |ये स्कैम पद्मश्री जनक पलटा, के साथ हुआ है। उन्होंने एसबीआई की बिचौली मर्दाना शाखा में वर्षों की मेहनत से जोड़ी गई राशि को सुरक्षित रखने के लिए एक स्पेशल टर्म डिपॉजिट (एफडी) करवाई थी, जिसके बाद उनके साथ ये विश्वासघात बैंक के ही कर्मचारी ने किया था |

बैंक कर्मचारी ने की धोखाधड़ी 

जब लालच सर चढ़ जाये ,तो एक भरोसेमंद बैंक कर्मचारी ही विश्वातघात कर सकता है | वरिष्ठ सहायक दिनेश डोंगरे ने पूरी योजना के साथ यह घोटाला अंजाम दिया। उन्होंने जनक पलटा के फर्जी हस्ताक्षर किए, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर बदल दिया ताकि ओटीपी उनके पास आए, और फिर धीरे-धीरे 23 लाख रुपये निकाल लिए। इसमें से लगभग 10 लाख रुपये एक अन्य व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर नकद निकाल लिए थे।साल 2020 में पासपोर्ट रिन्यूवल के दौरान जब जनक पलटा एफडी रिन्यू कराने बैंक गईं, तो उन्हें पता चला कि उनकी एफडी पहले ही बंद हो चुकी है। बैंक अधिकारी खुद हैरान रह गए जब उन्होंने रिकॉर्ड में “FD Closed” लिखा देखा।यह सुन कर जनक पलटा को जोर का झटका लगा क्योंकि वह एफडी उनके लिए नियमित आय का साधन थी।


बैंक में हुई गड़बड़ी: कार्रवाई के बजाय दबाने की कोशिश, CBI की जांच जारी

जब शुरुआती जांच में बैंक को गड़बड़ी का पता चला, तो बजाय आरोपियों पर कार्रवाई करने के, उन्होंने मामला दबाने की कोशिश की।जनक पलटा को शांत करने के लिए उन्हें एक नई एफडी दे दी गई, लेकिन असल दोषी पर कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। यह बैंकिंग की गंभीर चूक और जवाबदेही की कमी को बताता है।वेसे तो जनक पलटा ने सीधे सीबीआई से शिकायत नहीं की, लेकिन एजेंसी को किसी माध्यम से इस धोखाधड़ी की जानकारी मिली। सीबीआई ने स्वतः संज्ञान लेते हुए बैंक से रिपोर्ट मांगी और केस दर्ज कर दिया। अब इसकी विधिवत जांच चल रही है, जिससे उम्मीद की जा रही है कि दोषियों को सजा मिलेगी।