Pakistan में भारी बारिश से 46 लोगों की मौत: क्यों देश जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील बना हुआ है?

Pakistan में पिछले हफ्ते हुई भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ों ने कम से कम 46 लोगों की जान ले ली और दर्जनों लोगों को घायल कर दिया। ये आपदाएँ खासतौर पर खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब, सिंध और बलूचिस्तान में देखने को मिलीं। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, इस वर्ष भी मानसून में औसत से ज्यादा बारिश की संभावना है, और संबंधित अधिकारियों को पहले ही सतर्क रहने के निर्देश जारी किए गए हैं। पाकिस्तान मौसम विभाग के उप निदेशक इरफान वीरक ने चेतावनी दी कि 2022 जैसी स्थिति दोहराई जा सकती है, जब देश में बाढ़ ने एक तिहाई हिस्से को जलमग्न कर दिया था, 1,737 लोगों की मौत हुई थी और व्यापक तबाही हुई थी।

Pakistan: जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील क्यों?

पाकिस्तान का जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होना एक जटिल और बहुआयामी समस्या है, जो न केवल प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ाती है, बल्कि देश की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर भी गहरा प्रभाव डालती है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (UNFCCC) में पाकिस्तान ने यह स्वीकार किया है कि 2025 तक देश को सबसे अधिक जलवायु संवेदनशील राष्ट्र के रूप में रैंक किया गया है। पाकिस्तान की जलवायु परिवर्तन से निपटने की रणनीति अभी तक उतनी प्रभावी नहीं रही है, जिसके कारण जलवायु-संवेदनशील घटनाओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।

1. भौगोलिक और मौसमीय परिस्थितियाँ

पाकिस्तान का भूगोल और मौसम इसकी जलवायु संवेदनशीलता का मुख्य कारण है। देश की अधिकांश जल आपूर्ति हिमालय और काराकोरम ग्लेशियरों पर निर्भर है, जो तेजी से पिघल रहे हैं। इस पिघलते हुए बर्फीले पानी के कारण बाढ़ों का खतरा बढ़ गया है, जिससे भविष्य में जल संकट गहरा सकता है। इसके अलावा, पाकिस्तान का अधिकांश हिस्सा अर्ध-रेगिस्तानी या रेगिस्तानी है, जहाँ वर्षा की मात्रा बहुत कम है। जलवायु परिवर्तन के कारण पानी की कमी और मरुस्थलीकरण बढ़ रहा है, जो खेती और जल आपूर्ति पर सीधा प्रभाव डाल रहा है।

2. कृषि पर निर्भर अर्थव्यवस्था

Pakistan की अर्थव्यवस्था का लगभग 20% हिस्सा कृषि पर निर्भर करता है, और इसमें काम करने वाली लगभग 40% जनसंख्या सीधे तौर पर कृषि से जुड़ी है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण, जैसे कि सूखा, बाढ़, और असामान्य मौसम, कृषि उत्पादन में उतार-चढ़ाव हो रहा है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है। पाकिस्तान में एक अच्छी फसल के लिए आवश्यक वर्षा और पानी की आपूर्ति अब अस्थिर हो गई है, जिससे कृषि आधारित आजीविका संकट में है।

3. तीव्र शहरीकरण और अपर्याप्त अवसंरचना

Pakistan में शहरीकरण की गति तेज़ी से बढ़ रही है, और प्रमुख शहरों जैसे कराची, लाहौर, और इस्लामाबाद में आबादी में लगातार वृद्धि हो रही है। लेकिन इन शहरों में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पर्याप्त अवसंरचना की कमी है। शहरी बाढ़, खराब जल निकासी प्रणालियाँ, और अत्यधिक गर्मी के कारण गर्मी की लहरों से होने वाली समस्याएं आम हो गई हैं। इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में जलवायु-संवेदनशील अवसंरचना की कमी के कारण, लोग असुरक्षित परिस्थितियों में रहते हैं, जिससे प्राकृतिक आपदाओं के प्रभावों से बचाव मुश्किल हो जाता है।

4. जल संकट और पानी की बढ़ती कमी

पाकिस्तान पहले ही दुनिया के सबसे जल-संकटग्रस्त देशों में शामिल है। जलवायु परिवर्तन और कृषि में जल के अपर्याप्त उपयोग के कारण पानी की भारी कमी हो रही है। पाकिस्तान का अधिकांश पानी सिंधु नदी प्रणाली से आता है, लेकिन ग्लेशियरों का पिघलना और जलवायु परिवर्तन से नदी प्रणालियों में बदलाव हो रहा है। इस कमी का असर न केवल कृषि बल्कि लोगों की जीवन रेखा के रूप में पानी की उपलब्धता पर भी पड़ रहा है, जिससे जल संघर्ष और विस्थापन की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

5. बढ़ती जनसंख्या का दबाव

Pakistan की आबादी अब 240 मिलियन से अधिक है और यह तेज़ी से बढ़ रही है। इसके साथ ही प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे जलवायु परिवर्तन की चुनौती और भी जटिल हो गई है। उच्च जनसंख्या वृद्धि और बढ़ते शहरीकरण के कारण संसाधनों का असमान वितरण और पर्यावरणीय असंतुलन पैदा हो रहा है, जो जलवायु आपदाओं के प्रभाव को और भी बढ़ा देता है।