“भारत के ड्रोन से ही हिल गया पाकिस्तान” – ड्रोन शक्ति के सामने टिक नहीं सकता दुश्मन

पाकिस्तान ने जब पहलगाम में निर्दोष पर्यटकों पर आतंकवादी हमला किया, तो भारत ने चुप बैठना अपनी फितरत नहीं समझा। जवाब आया – ज़ोरदार, सटीक और घातक! भारतीय सेना ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंक के अड्डों को तहस-नहस कर दिया। बौखलाए पाकिस्तान ने भी ड्रोन से हमले शुरू किए, लेकिन भारतीय ड्रोन शक्ति के सामने वो टिक नहीं पाया।

ये है हमारें ‘आकाशीय योद्धाओं’ की ताकत
आइए हम यह जानते है कि भारत के पास ऐसे कौन-से ड्रोन हैं, जो पाकिस्तान को चौकन्ना कर देते हैं?  तो आइए जानते है उन ‘आकाशीय योद्धाओं’ के बारे में जो आसमान से दुश्मन पर कहर बरपाते हैं!

हेरॉन मार्क-2 आसमान का बादशाह
इज़राइल से मिले हेरॉन मार्क-2 ड्रोन को देखकर दुश्मन के पसीने छूट जाते हैं। यह 32 सौ फुट की ऊंचाई तक उड़ सकता है और 24 घंटे से अधिक समय तक दुश्मन की हर हरकत पर नजर रख सकता है। इसकी 3 हजार किमी तक की रेंज और 250 किलो तक का पेलोड इसे युद्ध में बेहद उपयोगी बनाता है। यह निगरानी और हमले दोनों में सक्षम है।

हार्पी फायर एंड फॉरगेट का मास्ट
हारोप या हार्पी ड्रोन एक ऐसा हथियार है जिसे दुश्मन पहचान भी नहीं पाता और तबाही मचा चुका होता है। यह 500 से 1000 किमी तक उड़ान भर सकता है, 185 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है, और 9 घंटे तक मिशन पर रह सकता है। खास बात – यह खुद को नष्ट कर लेता है, ताकि दुश्मन के हाथ कुछ न लगे। इसे दुश्मन के रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को खत्म करने के लिए तैयार किया गया है।

 रुस्तम-2 – भारत का स्वदेशी प्रिडेटर
DRDO द्वारा विकसित रुस्तम-2 ड्रोन एक मल्टी-रोल UAV है जो थल सेना, वायु सेना और नेवी – तीनों के काम आता है। यह 24 घंटे तक उड़ान भर सकता है और हाई-रेजोल्यूशन 3D इमेजिंग देता है। निगरानी, खुफिया जानकारी और सीमाई सुरक्षा में यह गेमचेंजर साबित हुआ है।

निशांत निगरानी में निपुण

निशांत एक और DRDO का शाहकार है जिसे खासतौर से ज़मीन आधारित खुफिया और निगरानी कार्यों के लिए तैयार किया गया है। इसे कैटापुल्ट से उड़ाया जाता है और पैराशूट के जरिए लैंड कराया जाता है। इसकी खासियत है – तेज, हल्का और बेहद सटीक नजर रखने वाला सिस्टम।

 लक्ष्य रॉकेट से उड़ने वाला लक्ष्यभेदी
HAL और DRDO द्वारा विकसित लक्ष्य ड्रोन को रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जाता है। यह टारगेट पर निशाना साधने और प्रशिक्षण मिशनों में इस्तेमाल होता है। इसकी लोकप्रियता इतनी है कि इज़राइल और सिंगापुर भी इसके प्रशंसक हैं।

सर्चर MK-I और MK-II – ऊंची उड़ान, सटीक निगरानी
भारत के पास इज़राइल से आयातित सर्चर MK-I और MK-II भी हैं, जो 16 घंटे तक उड़ सकते हैं और 18,500 फुट की ऊंचाई तक जा सकते हैं। 150 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ते ये ड्रोन खासतौर पर हिमालय जैसे दुर्गम क्षेत्रों में बेहद उपयोगी साबित होते हैं।

गगन आकाश में तीसरी आंख
गगन ड्रोन भी DRDO की देन है। यह निगरानी और इंटेलिजेंस मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है। हाई रेजोल्यूशन 3D इमेजिंग और लंबी दूरी की निगरानी क्षमता इसे खास बनाती है। भारत की ड्रोन शक्ति अब दुश्मन देश के लिए खतरे की घंटी बजाने के लिए तैयार है। भारत की ड्रोन टेक्नोलॉजी दिन-ब-दिन मजबूत हो रही है। सर्जिकल स्ट्राइक, खुफिया जानकारी या जवाबी कार्रवाई के  हर मोर्चे पर भारतीय ड्रोन एक कदम आगे हैं। पाकिस्तान जैसे दुश्मनों को साफ संदेश है कि  “अब भारत सिर्फ सहता नहीं, सीधे जवाब देता है!”