पाकिस्तानी एक्टर इमरान अब्बास ने ‘धुरंधर’ की तारीफ करने वालों को लगाई लताड़, बोले- यह फिल्म हमारे धर्म के खिलाफ

भारतीय बॉक्स ऑफिस पर आदित्य धर की फिल्म ‘धुरंधर’ जबरदस्त प्रदर्शन कर रही है। दुनियाभर में 600 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई कर चुकी इस फिल्म की चर्चा सरहद पार पाकिस्तान में भी हो रही है। हालांकि, वहां इस फिल्म को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।

एक तरफ जहां कुछ लोग फिल्म की सिनेमेटोग्राफी और मेकिंग की तारीफ कर रहे हैं, वहीं पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री के कुछ सितारे इसे अपने देश के खिलाफ बता रहे हैं। इसी कड़ी में अब मशहूर पाकिस्तानी अभिनेता इमरान अब्बास ने फिल्म की तारीफ करने वाले पाकिस्तानियों पर तीखा हमला बोला है।

इमरान अब्बास ने सोशल मीडिया पर उन लोगों को आड़े हाथों लिया है जो इस फिल्म पर रील्स और वीडियो बना रहे हैं। उन्होंने इसे ‘शर्मनाक’ और ‘बेगैरती’ करार दिया है।

फिल्म के कंटेंट पर उठाए सवाल

इमरान अब्बास ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह फिल्म खुले तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ नेरेटिव सेट कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत में बनी यह फिल्म न केवल उनके देश, बल्कि उनके धर्म और पहचान के खिलाफ भी है। अभिनेता को सबसे ज्यादा दुख इस बात का है कि पाकिस्तान के लोग ही इसे ग्लोरीफाई कर रहे हैं।

“सिर्फ फिल्म ही शर्मनाक नहीं है, बल्कि हकीकत यह है कि हमारे समाज के लोग इसकी तारीफ कर रहे हैं। लोग इस पर रील्स, एआई इमेज और वीडियोज बना रहे हैं। वे फिल्म के किरदारों और एक्टर्स की तारीफ कर रहे हैं और इसे गर्व से प्रमोट कर रहे हैं।” — इमरान अब्बास

‘आत्मसम्मान से बढ़कर नहीं एंटरटेनमेंट’

अभिनेता ने स्वीकार किया कि फिल्म की मेकिंग और प्रोडक्शन क्वालिटी बेहतरीन हो सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आत्मसम्मान को दांव पर लगा दिया जाए। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सिनेमा को नफरत फैलाने और किसी धर्म को निशाना बनाने का जरिया होना चाहिए?

इमरान ने एक काल्पनिक स्थिति का उदाहरण देते हुए कहा, ‘अगर पाकिस्तान में भारत के खिलाफ ऐसी कोई फिल्म बनती, तो पूरा भारत उसे बिना किसी झिझक के खारिज कर देता और यह बिल्कुल सही भी होता।’

उन्होंने आगे कहा कि हम एक ऐसी फिल्म का जश्न मना रहे हैं जो हमारे गाल पर तमाचे की तरह है। इसे ‘खुले विचारों’ वाला होना नहीं, बल्कि ‘बेगैरती’ कहा जाएगा।

पढ़े-लिखे लोगों पर साधा निशाना

अपनी बात को खत्म करते हुए इमरान अब्बास ने समाज के शिक्षित वर्ग पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि इस घटना ने साबित कर दिया है कि समझदारी का पढ़ाई-लिखाई से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मैंने उन पढ़े-लिखे लोगों को देखा है जो ऐसी जाहिल चीजें कर रहे हैं। किसी मुद्दे पर चुप्पी बुरी हो सकती है, लेकिन अपने ही खिलाफ बनी चीज का सेलिब्रेशन करना उससे भी ज्यादा बुरा है।’