स्वतंत्र समय, भोपाल
जैनाचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने गांधी नगर गोधा एस्टेट में आयोजित 6 दिवसीय पंचकल्याणक महोत्सव ( Panchkalyanak Festival ) के अंतिम दिन सभी श्रावक-श्राविकाओं को मोक्ष कल्याणक महोत्सव पर प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। मां के माध्यम से संतान की रक्षा होती है, माली के माध्यम से उद्यान की रक्षा होती तथा महात्मा के नियोग से प्रज्ञा की रक्षा होती है और परमात्मा के नियोग से आत्मा की रक्षा होती है। प्रज्ञा की रक्षा जो कर लेता है वही व्यक्ति विश्व को विचार व आचार देता है। विराटता विचारों में होना चाहिए। जिनके विचार विशाल हैं वे कक्ष में रहकर भी विश्व में फैल जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जिनके विचार निम्न होते हैं वे समुद्र के समान विशाल होते हुए भी खारे होते हैं। जिनके विचार खारे हैं ऐसे लोग देश में, विश्व में खारापन फैलाते हैं। जिनके विचार मधुर हैं वे विश्व को एक अखंडता दिखाते हैं। विचारों की अखंडता ही विश्व की अखंडता है। आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में कभी भी अहम में मत आना। अहम विचारों की विशालता को न्यून कर देता है और यही अहंकार होता है।
Panchkalyanak Festival में ये हुआ
- मानस्तम्भ का हुआ पूजन
- 24 तीर्थंकरों की प्रतिमा मानस्तम्भ पर की विराजित
- दर्शन-पूजन के लिए जैनियों का उमड़ा जन-सैलाब
- मोक्ष कल्याणक के साथ संपन्न हुआ पंचकल्याणक प्रतिष्ठा Panchkalyanak Festival महोत्सव
- आचार्य श्री विशुद्ध सागर ने 26 साधु संतों के साथ अंजनि नगर में किया विहार।