हिंदू धर्म में पौष मास का विशेष महत्व है, और इस महीने की अमावस्या तिथि को धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत फलदायी माना गया है। पंचांग के अनुसार, पौष माह की अमावस्या तिथि पर स्नान, दान और तर्पण करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसे ‘छोटी पितृ पक्ष’ के रूप में भी देखा जाता है, क्योंकि यह दिन पितरों की शांति के लिए समर्पित होता है।
साल 2025 में पौष अमावस्या के मुहूर्त और पूजा विधि को लेकर श्रद्धालुओं में जिज्ञासा है। ज्योतिषीय गणनाओं के मुताबिक, पौष अमावस्या की तिथि 29 दिसंबर 2024 को प्रारंभ होगी और अगले दिन यानी 30 दिसंबर तक मान्य रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, स्नान-दान का पर्व मुख्य रूप से 29 दिसंबर को ही मनाया जाएगा।
पौष अमावस्या 2025: शुभ मुहूर्त और समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 29 दिसंबर 2024 को सुबह 03 बजकर 46 मिनट पर होगा। इसका समापन 30 दिसंबर 2024 को सुबह 04 बजकर 02 मिनट पर होगा। उदयातिथि के नियम को मानते हुए, पौष अमावस्या का व्रत और मुख्य अनुष्ठान 29 दिसंबर, रविवार को ही किए जाएंगे।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना सबसे उत्तम माना गया है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05:24 बजे से 06:19 बजे तक रहेगा। इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से 12:44 बजे तक रहेगा, जो किसी भी शुभ कार्य या दान के लिए श्रेष्ठ समय है।
पूजा विधि और पितृ तर्पण
पौष अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, जैसे गंगा या यमुना में स्नान करना चाहिए। यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना अनिवार्य माना जाता है। तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, अक्षत और गुड़ डालकर ‘ॐ सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए सूर्य को जल अर्पित करें।
पितरों की शांति के लिए इस दिन तर्पण और श्राद्ध कर्म का विशेष महत्व है। दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का आह्वान करें और उन्हें जल व तिल अर्पित करें। मान्यता है कि इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है।
महत्वपूर्ण उपाय और दान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पौष अमावस्या के दिन कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
- पीपल की पूजा: इस दिन पीपल के पेड़ की जड़ में जल, दूध और काले तिल अर्पित करें। शाम के समय पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे शनि दोष और पितृ दोष दोनों से राहत मिलती है।
- दान का महत्व: अमावस्या पर गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, गर्म कपड़े, अनाज और तिल का दान करना चाहिए। इसे ‘अक्षय पुण्य’ की प्राप्ति का मार्ग माना गया है।
- कालसर्प दोष निवारण: जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष है, वे इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक कर सकते हैं। चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा बहते जल में प्रवाहित करना भी एक प्रभावी उपाय माना जाता है।
पौष अमावस्या को ‘बकुला अमावस्या’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम करने और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने के लिए घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाना शुभ होता है। धार्मिक दृष्टिकोण से यह दिन आध्यात्मिक उन्नति और पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक स्वर्णिम अवसर है।