पौष मास 2025: 12 दिसंबर से होगी शुरुआत, जानें सूर्य पूजा का महत्व और प्रमुख व्रत-त्योहारों की पूरी सूची

हिंदू धर्म में पौष मास का विशेष आध्यात्मिक महत्व है। यह महीना सूर्य देव की उपासना और पितरों को समर्पित कार्यों के लिए बेहद शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष पौष मास की शुरुआत 12 दिसंबर 2024, गुरुवार से हो रही है और इसका समापन 10 जनवरी 2025, शुक्रवार को पौष पूर्णिमा के साथ होगा।

पौष मास को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है क्योंकि इस दौरान किए गए श्राद्ध और तर्पण का फल सीधे पितरों को प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। इस पूरे महीने में भगवान सूर्य की पूजा का विधान है, जिससे व्यक्ति को आरोग्य, सम्मान और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

सूर्य पूजा का महत्व और विधि

पौष मास में सूर्य देव धनु राशि में रहते हैं। इस समय सूर्य की उपासना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस महीने में प्रत्येक दिन सूर्योदय के समय स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।

अर्घ्य देते समय जल में लाल चंदन, लाल फूल और अक्षत मिलाना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही सूर्य के मंत्र ‘ॐ सूर्याय नमः’ का जाप करना विशेष फलदायी होता है। इस माह में रविवार का व्रत रखने और सूर्य को तिल-चावल की खिचड़ी का भोग लगाने की भी परंपरा है।

खरमास और मांगलिक कार्यों पर रोक

पौष मास के दौरान ही खरमास भी लगता है, जो 16 दिसंबर 2024 से शुरू होकर 14 जनवरी 2025 तक रहेगा। इस अवधि में सूर्य धनु राशि में गोचर करते हैं। खरमास के कारण इस पूरे महीने में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्यों पर रोक रहती है। हालांकि, पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान किए जा सकते हैं।

दान का विशेष महत्व

पौष मास में ठंड अपने चरम पर होती है। इसलिए इस महीने में गर्म कपड़ों, कंबल, गुड़, तिल और घी का दान करना महापुण्य का कार्य माना गया है। जरूरतमंदों को भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं दान करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।

पौष मास 2024-25 के प्रमुख व्रत-त्योहार

इस महीने कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार भी मनाए जाएंगे, जिनकी सूची इस प्रकार है:

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी: 15 दिसंबर 2024, रविवार। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

कालाष्टमी: 19 दिसंबर 2024, गुरुवार। यह दिन भगवान शिव के भैरव स्वरूप को समर्पित है।

सफला एकादशी: 26 दिसंबर 2024, गुरुवार। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

पौष अमावस्या: 29 दिसंबर 2024, रविवार। यह तिथि पितरों के तर्पण और श्राद्ध के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

पौष पुत्रदा एकादशी: 7 जनवरी 2025, मंगलवार। संतान प्राप्ति की कामना के लिए यह व्रत रखा जाता है।

पौष पूर्णिमा: 10 जनवरी 2025, शुक्रवार। इस दिन स्नान-दान का विशेष महत्व है और इसी दिन पौष मास का समापन होगा।