मध्यप्रदेश सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में सुधार के लिए सख्त कदम उठा रही है। राज्य में खाद्यान्न की कालाबाजारी पर लगाम लगाने के लिए अब चावल की बजाय गेहूं की मात्रा बढ़ाने की योजना पर काम हो रहा है। सरकार का मानना है कि चावल की कालाबाजारी ज्यादा होती है, इसलिए इसका विकल्प बदलना जरूरी हो गया है।
राज्य के खाद्य मंत्री ने केंद्र से मांगा सहयोग
राज्य के खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने इस दिशा में केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात की और आवश्यक सुधारों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि अक्सर व्यापारी हितग्राहियों से सस्ते में चावल खरीदकर उसे खुले बाजार में ऊंचे दाम पर बेच देते हैं, जिससे पूरी वितरण प्रणाली में गड़बड़ी फैल जाती है। उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए केंद्र सरकार से सहयोग मांगा।
₹1500 करोड़ के अनुदान की शीघ्र अदायगी की मांग
बैठक के दौरान खाद्य मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य को मिलने वाले ₹1500 करोड़ के अनुदान की शीघ्र अदायगी की जाए, ताकि वितरण प्रणाली को मजबूती दी जा सके। इसके अलावा, उपार्जन केंद्रों की व्यवस्था को बेहतर बनाने और फील्ड में पारदर्शिता लाने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
NFSA डेटा और अनाज खरीदी को लेकर प्रस्ताव
राजपूत ने केंद्र से आग्रह किया कि राज्य को NFSA (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) का डेटा पोर्टल पर अपडेट करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने वर्ष 2014 से 2019 के बीच खरीदे गए मोटे अनाज को स्वीकृति देने और उसके वितरण की अनुमति देने का भी प्रस्ताव रखा।
सहकारी संस्थाओं और मजदूरी दरों पर भी चर्चा
मंत्री ने सहकारी संस्थाओं को राहत देने और उपार्जन पर मिलने वाले कमीशन को ₹43 प्रति क्विंटल तय करने की मांग रखी। इसके अलावा, मजदूरी दर को वर्तमान ₹17 प्रति क्विंटल से बढ़ाकर ₹23 प्रति क्विंटल करने की सिफारिश की गई, जिससे मजदूरों को भी सीधा लाभ मिल सके।
केंद्रीय मंत्री ने दिया सकारात्मक आश्वासन
केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने मध्यप्रदेश की इन मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार राज्य सरकार के प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार करेगी और सुधार की दिशा में जल्द निर्णय लिए जाएंगे।