Pitru Paksha Tarpan 2024: श्राद्ध पक्ष का आरंभ इस वर्ष मंगलवार को पूर्णिमा से हुआ, और पहले दिन पूर्णिमा का श्राद्ध किया गया। बुधवार को एकम का श्राद्ध हुआ। श्राद्ध पक्ष 2 अक्टूबर तक चलेगा, और यह पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का विशेष समय माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जिस तिथि पर किसी व्यक्ति का निधन होता है, उसी तिथि पर श्राद्ध किया जाता है। इस दौरान लोग पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान, और पूजा-पाठ करते हैं, ताकि उनका आशीर्वाद प्राप्त हो और उनकी कृपा परिवार पर बनी रहे।
हंसदास मठ में बुधवार को पूर्णिमा और एकम दोनों तिथियों का श्राद्ध एक साथ किया गया। मंगलवार को सुबह 11:43 बजे से पूर्णिमा लगने के कारण अधिकांश घरों में पूर्णिमा का श्राद्ध किया गया था। वहीं, सामूहिक तर्पण कार्यक्रम के अंतर्गत हंसदास मठ में पूर्णिमा और एकम का श्राद्ध एक साथ संपन्न हुआ। श्राद्ध पक्ष में पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए इस तरह के सामूहिक कार्यक्रमों का विशेष महत्व होता है, जहां लोग एकत्रित होकर तर्पण और पिंडदान जैसी विधियों का पालन करते हैं।
श्रद्धा सुमन सेवा समिति के संयोजक हरि अग्रवाल ने जानकारी दी कि तिथियों को लेकर उत्पन्न असमंजस के कारण बुधवार को पूर्णिमा और एकम दोनों तिथियों के श्राद्ध एक साथ किए गए। हंसदास मठ में यह निशुल्क श्राद्ध कार्यक्रम 2 अक्टूबर तक प्रतिदिन सुबह 8 से 10 बजे तक आयोजित किया जाएगा।
अग्रवाल ने बताया कि पिछले 24 वर्षों से यह अनुष्ठान नियमित रूप से बिना किसी शुल्क के आयोजित हो रहा है। कार्यक्रम स्थल पर साधकों की सुविधा के लिए सभी प्रकार की पूजन सामग्री, गोसेवा और अन्य शास्त्रानुसार व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि लोग अपने पितरों के लिए उचित तरीके से श्राद्ध कर सकें।
दिवंगत स्वजनों के श्राद्ध करने के लिए साधकों को हंसदास मठ, बड़ा गणपति पर सुबह 7.30 बजे तक पहुंचना आवश्यक है। यहां श्राद्ध करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी। साधकों के लिए स्नान के बाद स्वच्छ कपड़े पहनकर आना अनिवार्य है। मठ पर उन्हें पर्याप्त बैठक व्यवस्था, पूजन सामग्री, और अन्य सुविधाएं निशुल्क दी जाएंगी, जिससे वे अपने पितरों का श्राद्ध विधिपूर्वक संपन्न कर सकें।
श्राद्ध पक्ष की तिथियां निम्नलिखित हैं
– 18 सितंबर: प्रतिपदा श्राद्ध
– 19 सितंबर: द्वितीया श्राद्ध
– 20 सितंबर: तृतीया श्राद्ध
– 21 सितंबर: चतुर्थी श्राद्ध, भरणी श्राद्ध
– 22 सितंबर: पंचमी श्राद्ध
– 23 सितंबर: षष्ठी श्राद्ध, दोपहर 1:51 बजे से सप्तमी श्राद्ध
– 24 सितंबर: अष्टमी श्राद्ध
– 25 सितंबर: नवमी श्राद्ध, सौभाग्यवती का श्राद्ध
– 26 सितंबर: दशमी श्राद्ध
– 27 सितंबर: एकादशी श्राद्ध
– 28 सितंबर: इस दिन श्राद्ध नहीं है
– 29 सितंबर: द्वादशी श्राद्ध, संन्यासियों का श्राद्ध, मघा श्राद्ध
– 30 सितंबर: त्रयोदशी श्राद्ध
– 1 अक्टूबर: चतुर्दशी श्राद्ध
– 2 अक्टूबर: सर्वपितृ अमावस्या श्राद्ध