land mafia डागरिया की कॉलोनी में प्लॉट लेने वालों ने किया हंगामा

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर में तमाम सख्तियों के बावजूद भूमाफिया ( land mafia ) के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं। लगातार सख्त कार्रवाई के बाद भी भूमाफिया अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे। वहीं 25 साल पहले लसूडिया मोरी क्षेत्र स्थित प्रिंसेस स्टेट कॉलोनी का पुराना विवाद आज भी सुर्खियों में है। इंदौर में लसूडिया मोरी क्षेत्र स्थित प्रिंस स्टेट कॉलोनी में भूमाफिया डागरिया की कॉलोनी में विवाद को लेकर हंगामा भी दिखाई दिया। भूमाफिया डगरिया की कॉलोनी में कई प्लॉट धारक अपनी समस्याओं के साथ कॉलोनी में विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे। कई प्लाट धारक अपनी जमीन को लेकर परेशान हैं, इसमें महिलाएं भी शामिल हंै, जो अपनी चिंता को लेकर कॉलोनी में पहुंची और अपना हक़ नहीं मिलने का विरोध किया। कॉलोनी में हंगामा देख भूमाफिया अधिकारियों से बातचीत के दौरान सफाई देते हुए नजर आए। इस दौरान देखा गया कि कॉलोनी के आसपास के भूखंडधारियों को बिना सूचना दिए जमीन का सीमांकन कर कब्जे की तैयारी की जा रही थी। जब इस बात की भनक प्लाट धारक के कानों तक लगी तो अचानक सैकड़ों की संख्या में प्लॉटधारक कॉलोनी पहुंच गए और विरोध किया।

land mafia के नियम विरुद्ध कामों का विरोध

कॉलोनी में हंगामे के दौरान प्लॉटधारकों ने भूमाफिया ( land mafia ) डागरिया के नियम विरुद्ध किए जा रहे कार्यों का विरोध किया और अपना पक्ष रखते हुए लगातार हंगामा जारी रखा। वही कॉलोनी में हंगामा बढ़ता देख मौके पर तहसीलदार एवं एसडीएम भी पहुंच गए। मामले को बिगड़ता देख मौके पर पहुंचते ही एसडीएम यशवंत धनकर और तहसीलदार ने कई प्लाट धारकों से बातचीत कर उनका पक्ष सुना और यह जानना चाहा कि आखिर यह मामला बढ़ता क्यों जा रहा है, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ कि उनके साथ वाकई धोखाधड़ी की जा रही है. इस बात को अधिकारियों ने स्वीकार भी किया। मामले पर संज्ञान लेते हुए अधिकारियों ने संवेदनशीलता का परिचय दिया और मामले पर फिलहाल यथा स्थिति रखने के आदेश जारी किए। आपको बता दें कि इस मामले के निपटान हेतु इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह ने एक कमेटी बनाई है, जिसमें कॉलोनी संबंधी सभी मामले की जांच रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं।

यह है मामला

यह पूरा मामला इंदौर के लसूडिया मोरी क्षेत्र स्थित प्रिंस स्टेट कॉलोनी का है। यह कॉलोनी सन 1996/1997 में काटी गई थी। बताया जा रहा है कि कॉलोनाइजर महेंद्र कुमार जैन, अरुण डगरिया, शंभू दयाल अग्रवाल यह तीनों लोगों ने मिलकर फैनी कंस्ट्रक्शन कंपनी बनाकर इस कॉलोनी को काटा था। सूत्रों के मुताबिक यह कॉलोनी लगभग 90 एकड़ जमीन में काटी गई है, जिसमें करीब 1000 प्लॉट शामिल हैं। अधिकांश प्लॉटों को वर्ष 1997 से वर्ष 2000 के बीच प्लॉट धारकों को बेच दिया गया। वहीं कुछ बाकी बचे हुए प्लाटों को 2007 तक बेचने का सिलसिला जारी रहा। इसके साथ ही प्लाटों की रजिस्ट्री कर सुंदर सर्वसुविधायुक्त, सुसज्जित, सुव्यवस्थित कॉलोनी बनाने के सपने दिखा दिए गए और सीधे-साधे प्लॉट धारकों से इन्वेस्ट के नाम पर पैसा लगवा दिया गया उनके बाद उन्हें प्लाट के नाम पर धोखा देने का प्रयास किया गया। इतना ही नहीं काफी लंबे समय के बाद भी जब किसी किस्म का कोई डेवलपमेंट नजर नहीं आया, तब 20 साल बाद यहां अचानक से दो-तीन किसान आकर खाली प्लॉटों को अपनी जमीन बताने लगे।इससे इस बात का खुलासा हुआ कि कुछ भूमाफिया हैं जो जमीन को अपना बता रहे हैं और ऐसे लोगों को भाजपा सरकार के एक प्रभावशाली मंत्री का संरक्षण मिलना बताया जा रहा है।

कई मामले लंबित

गौरतलब है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री हो या देश के प्रधानमंत्री सभी भू माफिया के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा करते रहे हैं, लेकिन उनके ही मंत्रिमंडल के साथी ऐसे तत्वों को संरक्षण देते रहे हैं। यही कारण है कि पूर्व में मध्य प्रदेश में 8000 से अधिक अवैध कॉलोनियां काटी गई और यह सिलसिला अभी भी जारी है। हालाँकि प्रिंस स्टेट कॉलोनी का यह मामला एकमात्र नहीं है, इंदौर में इस तरह के सैकड़ों मामले आज भी लंबित हैं, जिस पर कई तरह के केस चल रहे हैं।