शासकीय कर्मचारियों के सांठगांठ से फल-फूल रहा अवैध प्लाटिंग का कारोबार आशियाने की चाहत में फंसे भोले भाले लोग
गौरव बावनकर/पांढुर्णा :- नगर में धडल्ले से प्रशासन के नाक के नीचे अवैध कालोनियां बे रोक टोक काटी जा रही है। सर्व सुविधायुक्त होने का दावा कर दलालों को झांसे में आकर भोले भाले लोग आशियाने की चाहत में फसकर सुविधा से वंचित रहते है। हरे भरे पेड़ो को काटकर खेती की जमीन औने पौने दामों पर खरीदकर अवैध कॉलोनियां बेच कर लाखो का हेरफेर हो रहा है। बता दे की लंबे समय से छिंदवाड़ा जिला अंतर्गत पांढुर्णा तहसील में अवैध प्लाटिंग का कारोबार बड़े पैमाने पर फल-फूल रहा है।
जहां कहीं ना कहीं शासकीय अधिकारियो एवं कर्मचारियों की सांठगांठ से खेतों की जमीनों को बंजर बता कर प्लाटों में तब्दील किया जा रहा है। पांढुर्ना तहसील अंतर्गत ना जाने कितने खेतों को अब तक प्रशासनिक सांठगांठ के चलते प्लॉटिंग में तब्दील कर दिया गया। सूत्रों की माने तो पांढुर्णा शहर में भोपाल रोड, नागपुर रोड, अंबाडा रोड फिल्टर प्लांट के पास, शहर के अंदर अधिसूचित परिसरों में एवं बाईपास सहित शहर के चारों दिशाओं में बड़े पैमाने पर उपजाऊ खेती की जमीनों को प्लाटों में तब्दील किया जा रहा है। इतना ही नहीं सूत्र कहते हैं कि नागपुर रोड स्थित तो कुछ अलग ही नजारा है जहां एक शासकीय कर्मचारी मिलकर करोड़ों की जमीन खरीद कर प्लाटों में तब्दील कर रहा है।
जहां पांढुर्णा से लेकर 100 साल तक सफेद पोशाक नेताओं के पकड़ के सहारे अपने मनमाने तरीके से कारोबार को आगे बढ़ा रहा है। जबकि एक शासकीय कर्मचारी अपनी तनख्वाह के ऊपर ही अपना पूरा जीवन बिताता है। लेकिन यहां तो करोड़ों की संपत्ति कुछ लोगों के साथ मिलकर खरीदी बिक्री का कार्य भी कर रहा है। आखिर ऐसे कर्मचारी एवं अधिकारियों पर प्रशासनिक दल क्यों कार्यवाही करने से दूरी बनाता है।
इतना ही नहीं शहर के अधिकतम लेआउट पर ना ही कोई सुविधा है ना ही पानी निकासी, रोड निर्माण सहित नगर पालिका से लेकर अन्य विभाग की परमिशन फिर भी अपने मनमाने तरीके से जेसीबी मशीनों के सहारे जमीनों को छलनी कर मनमाने ढंग से मुर्दों को भी निकाला जा रहा है, सुबह से शाम तक खेतों की मिट्टी ओवरलोड नंबरों के सहारे बेची जा रही है। फिर भी प्रशासनिक अधिकारी कार्यवाही से दूरी बना रहे हैं। जबकि जिला कलेक्टर द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि अवैध लेआउट पर जांच कर कार्रवाई करें । परंतु यहां तो कार्रवाई तो दूर परमिशन कैसे मिल जाती है। वह भी सोचने योग्य है कहीं ना कहीं अवैध लेआउट के कारोबार में बड़े मुनाफे के चक्कर में जहां मन चाहे वहां उपजाऊ जमीनों को खरीद कर बंजर बना कर लेआउट डाल देते हैं और भोले – भाले लोगों को दलालों के सहारे गुमराह करने की कोशिश करते हैं। शहर में दलाल भी इतने सक्रिय हो गए हैं कि उन्हें सिर्फ अपने कमीशन से मतलब है। लेकिन परेशानी तो प्लॉट लेने वाले की है। बता दे शहर में ऐसे कई लेआउट है जहां रोड, पानी, बिजली एवं अन्य सुविधा से वंचित रहना पड़ रहा है। चाह कर भी नगरपालिका ऐसे लेआउट ओ पर अपनी सुविधा नहीं दे पाती है। अक्सर देखा गया है कि शहर के बंसोड कॉलोनी में रहने वाले लोगों की लंबे वर्षों से जो परेशानियां निवासियों को हो रही है वह सिर्फ कॉलोनी के लोग ही जानते हैं। जिस कारण वहां के रहने वाले लोगों ने नगर पालिका चुनाव सहित आने वाले चुनाव में भी बहिष्कार करने की तैयारी कर ली है लेकिन कहीं ना कहीं जितना कसूरवार शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारी व लेआउट बनाने वाला है उतना ही कसूर दार ऐसे लेआउट ओ पर प्लॉट खरीदार करने वाला भी है। उन्हें पता होने के बाद भी न जाने क्या कारण है कि दलालों के चक्कर में पड़ कर ऐसे लेआउट ओ पर खरीदारी कर मकान बना दिए जाते हैं। अब देखना यह है कि आखिर शासन के जिम्मेदार अधिकारी शहर के अधिकतम लेआउट बनाने वालों के ऊपर कब कार्रवाई कर शिकंजा कसेगा, इसका इंतजार रहेगा।