PM Fasal Bima Yojana: किसानों के लिए खुशखबरी, खरीफ और रबी सीजन की फसलें होंगी सुरक्षित, जानें किस मौसम में कौन सी फसलें मिलेंगी बीमा के तहत

PM Fasal Bima Yojana: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) 2025 के तहत अब किसानों को सिर्फ खरीफ और रबी नहीं, बल्कि कई वार्षिक और नकदी फसलों का भी बीमा कवरेज मिलेगा। इस योजना से प्राकृतिक आपदा, कीट हमले, सूखा या फसल बीमारी की स्थिति में मुआवजा लेना आसान होगा।

नाममात्र प्रीमियम में फसल को मिल रही बड़ी सुरक्षा

इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि किसान को बहुत ही कम प्रीमियम देना होता है। इसके बदले में वह भारी नुकसान की स्थिति में भी आर्थिक रूप से सुरक्षित रहता है। हर राज्य के अनुसार फसलें तय की जाती हैं ताकि स्थानीय जरूरतों के मुताबिक बीमा मिल सके।

आय में स्थिरता लाने का उद्देश्य

PMFBY का मकसद खेती से जुड़ी अनिश्चितताओं को कम करना है। जब फसल खराब होती है तो यह बीमा योजना किसान को दोबारा खेती शुरू करने की ताकत देती है और कर्ज़ से बचाती है। इससे उनकी आमदनी में गिरावट नहीं आती।

दोनों मौसम की प्रमुख फसलें कवर में शामिल

खरीफ सीजन में जैसे धान, मक्का, उड़द और कपास जैसे फसलें शामिल की गई हैं, वहीं रबी के दौरान उगाई जाने वाली गेहूं, चना, जौ और सरसों भी योजना का हिस्सा हैं। इससे किसानों को हर मौसम में सुरक्षा मिलती है।

अब वार्षिक और नकदी फसलें भी सुरक्षित

अब यह योजना सिर्फ खाद्यान्न तक सीमित नहीं है। गन्ना, केला, आलू, प्याज और आम जैसी नकदी और सालाना फसलें भी अब बीमा में शामिल हैं। इससे वे किसान भी लाभ में हैं जो ज्यादा कमाई के लिए व्यापारिक फसलें उगाते हैं।

राज्य के अनुसार अलग-अलग फसल सूची

भारत की विविध जलवायु को देखते हुए हर राज्य में बीमा की जाने वाली फसलों की अलग सूची होती है। जैसे हरियाणा में धान और गन्ना, जबकि मध्यप्रदेश में सोयाबीन और चना को शामिल किया गया है। इससे बीमा योजना ज्यादा प्रासंगिक बनती है।

कुछ फसलें अभी भी योजना से बाहर

हालांकि, हर फसल इस योजना में नहीं आती। फूलों की खेती, सजावटी पौधे या शोध के लिए उगाई गई फसलें इसमें शामिल नहीं होतीं। साथ ही अवैध या देर से पंजीकृत फसलें भी बीमा के लाभ से बाहर रहती हैं।

ऑनलाइन पोर्टल से रहें अपडेट

PMFBY से जुड़ी हर जानकारी जैसे कौन सी फसलें कवर होंगी, आवेदन की अंतिम तारीख, और पात्रता संबंधी विवरण आधिकारिक पोर्टल pmfby.gov.in पर समय-समय पर अपडेट होती रहती है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे हर सीजन की शुरुआत में पोर्टल जरूर देखें।