प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क प्लान के तहत प्रदेश में सड़कें पन्नों में बन रही हैं। यही नहीं, पन्नों में ही इनका मेंटनेंस भी हो रहा है। उज्जैन के तराना ब्लॉक में इस प्लान में 2 सड़कें जवासिया से बेलारी और जवासिया से बोरदा धाकड़ के प्रस्ताव को 2009 में मंजूरी मिली। पीएमजीएसवाय के रिकॉर्ड की मानें तो 2014 में ये दोनों सड़कें बनकर तैयार हो गईं।
लेकिन हकीकत में अवसर पर दोनों जगह सिर्फ झाड़ियां है। चौंकाने वाली बात यह है कि 2020 से दोनों सड़कों के मेंटनेंस पर 75 लाख रुपए से अधिक खर्च हो गए हैं। ग्रामीण 25 से ज़्यादा बार शिकायत कर चुके हैं, पर अफसर बोलते हैं कि रिकॉर्ड में यह रोड बनी हुई है। इसलिए फिर से सड़क नहीं बना सकते।
तराना ब्लॉक में एमपीआरडीसी उपयंत्री अंबर गुप्ता के मुताबिक, हमारे सिस्टम में सड़कें बनी हुई हैं। इन्हें फिर से नहीं बना सकते। ग्राम पंचायत अपने मद से सड़क बनवाना चाहे तो हम लिखकर दे देंगे कि वहां सड़क नहीं है।