Operation Sindoor: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उन सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात की, जिन्होंने हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख को उजागर करने के लिए 30 से अधिक देशों की यात्रा की थी। यह बैठक दिल्ली में प्रधानमंत्री के आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर हुई। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों, जिसमें विभिन्न दलों के सांसद, पूर्व सांसद और वरिष्ठ राजनयिक शामिल थे, ने विदेशी नेताओं और प्रतिनिधियों के साथ अपनी बातचीत के अनुभव साझा किए।
ये प्रतिनिधिमंडल भारत की उस कूटनीतिक पहल का हिस्सा थे, जिसका उद्देश्य पहलगाम आतंकी हमले और इसके जवाब में भारत की कार्रवाई को वैश्विक मंच पर सामने लाना था। प्रत्येक समूह ने विश्व के प्रमुख देशों की राजधानियों का दौरा किया, ताकि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिबद्धता और वैश्विक शांति के प्रति उसके समर्पण को रेखांकित किया जा सके।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “इन यात्राओं का उद्देश्य राष्ट्रीय एकता को प्रदर्शित करना और वैश्विक समुदाय को आतंकवाद पर भारत का एक स्वर सुनिश्चित करना था।” यह पहल पाकिस्तान द्वारा कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने और सीमा पार आतंकवाद को कमतर दिखाने की कोशिशों का मुकाबला करने का हिस्सा है।
Operation Sindoor : प्रतिनिधिमंडल की संरचना और नेतृत्व
इस अभियान में 50 से अधिक लोग शामिल थे, जिनमें वर्तमान और पूर्व सांसदों के साथ-साथ पूर्व राजनयिक भी थे। प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करने वालों में बीजेपी के रविशंकर प्रसाद और बैजयंत पांडा, कांग्रेस के शशि थरूर, जेडी(यू) के संजय झा, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, डीएमके की कनिमोझी और एनसीपी(एसपी) की सुप्रिया सुले जैसे नेता शामिल थे। विपक्ष और सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं की मौजूदगी ने इस पहल को द्विदलीय चरित्र प्रदान किया।
Operation Sindoor : वैश्विक मंच पर भारत का रुख
विदेश मंत्रालय ने पहले इन टीमों की सराहना की थी, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के रुख को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले सप्ताह प्रतिनिधियों के साथ एक अलग बातचीत में पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के खतरे के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने में उनकी भूमिका की प्रशंसा की।
प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल का ध्यान एक विशिष्ट क्षेत्र पर था, जिसमें अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया शामिल थे। चर्चाओं में आतंकवाद विरोधी सहयोग से लेकर रणनीतिक साझेदारी तक के मुद्दे शामिल थे। भारतीय टीमों ने गलत सूचनाओं और प्रचार से संबंधित चिंताओं को भी संबोधित किया।
एकजुट भारत की छवि
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, कांग्रेस के मनीष तिवारी और आरजेडी के प्रेम चंद गुप्ता जैसे सांसदों को शामिल करने का सरकार का निर्णय राष्ट्रीय महत्व के इस मुद्दे पर एकजुटता प्रदर्शित करने की कोशिश के रूप में देखा गया। यह कदम भारत की उस नीति को दर्शाता है, जो आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस और वैश्विक शांति के लिए प्रतिबद्धता को मजबूती से सामने लाती है।