PM Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नामीबिया की संसद को संबोधित करते हुए कहा कि भारत अफ्रीका को केवल कच्चे माल के भंडार के रूप में नहीं देखता, बल्कि उसे आत्मनिर्भर और स्वतंत्र विकास पथ पर अग्रसर महाद्वीप के रूप में मान्यता देता है। यह टिप्पणी उन्होंने उन वैश्विक शक्तियों के परिप्रेक्ष्य में की जो अफ्रीका के संसाधनों का उपयोग अपने औद्योगिक हितों के लिए करती रही हैं।
अफ्रीका की अपनी दिशा और नियति हो सकती है : PM Modi
विंडहोक में नामीबियाई सांसदों के समक्ष प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत अफ्रीका को केवल कच्चे माल का स्रोत नहीं मानता। हमारा मानना है कि अफ्रीका और ग्लोबल साउथ अपनी नियति खुद तय कर सकते हैं और अपनी राह चुन सकते हैं।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत, नामीबिया के साथ मिलकर उसकी विकास यात्रा — विशेष रूप से ‘विजन 2030’ — में एक भागीदार बनने को प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत और नामीबिया ने “स्वतंत्रता से भविष्य” की यात्रा एक साथ तय की है।
पीएम मोदी ने नामीबिया के स्वतंत्रता आंदोलन में भारत की भूमिका को याद करते हुए कहा कि भारत ने नामीबिया की आज़ादी की आवाज़ को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाया था, यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र में भी ‘साउथ वेस्ट अफ्रीका’ का मुद्दा उठाया गया। उन्होंने बताया कि “भारत की धरती पर SWAPO (साउथ वेस्ट अफ्रीका पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन) का पहला विदेशी राजनयिक कार्यालय खोला गया था।”
उन्होंने नामीबिया के पहले राष्ट्रपति सैम नुजोमा और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनके संघर्ष आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं।
शांति स्थापना में भारत की भूमिका: PM Modi
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के लेफ्टिनेंट जनरल दिवान प्रेम चंद का भी उल्लेख किया, जो संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के नेतृत्वकर्ता के रूप में नामीबिया में तैनात थे। उन्होंने कहा, “भारत को गर्व है कि उसने सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि कर्मों से भी नामीबिया के साथ खड़ा रहकर उसका समर्थन किया।”