भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के निवासियों का मेट्रो में सफर करने का सपना जल्द ही साकार होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शहर की पहली मेट्रो लाइन के वाणिज्यिक परिचालन का शुभारंभ करेंगे। इसके साथ ही भोपाल देश के उन चुनिंदा शहरों में शामिल हो जाएगा, जहां आधुनिक मेट्रो रेल सेवा उपलब्ध है।
पहले चरण में, मेट्रो ऑरेंज लाइन के प्राथमिकता वाले कॉरिडोर पर आम जनता के लिए शुरू की जाएगी। यह रूट सुभाष नगर से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन तक लगभग 7 किलोमीटर लंबा है। इस मार्ग पर कुल पांच स्टेशन बनाए गए हैं, जिनमें सुभाष नगर, केंद्रीय स्कूल, डीबी सिटी, एमपी नगर और रानी कमलापति स्टेशन शामिल हैं।
अक्टूबर में हुआ था सफल ट्रायल रन
उल्लेखनीय है कि अक्टूबर 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस प्राथमिकता वाले कॉरिडोर पर मेट्रो के ट्रायल रन को हरी झंडी दिखाई थी। सफल ट्रायल रन के बाद से ही वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने की तैयारियां तेज कर दी गई थीं। अब प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन के बाद इसे आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा, जिससे लाखों नागरिकों को सुविधा होगी।
प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारियां जोरों पर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन और उद्घाटन कार्यक्रम को लेकर मध्य प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (MPMRCL) और स्थानीय प्रशासन ने तैयारियां अंतिम चरण में पहुंचा दी हैं। सुरक्षा व्यवस्था से लेकर मेट्रो स्टेशनों की अंतिम जांच और सिग्नलिंग प्रणाली तक, सभी पहलुओं पर बारीकी से काम किया जा रहा है ताकि उद्घाटन कार्यक्रम सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
भोपाल मेट्रो प्रोजेक्ट: एक नजर में
भोपाल मेट्रो परियोजना की कुल अनुमानित लागत लगभग ₹6,941 करोड़ है। इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के तहत शहर में दो कॉरिडोर का नेटवर्क बिछाया जाना है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 31 किलोमीटर होगी।
ऑरेंज लाइन: यह कॉरिडोर करोंद सर्कल से एम्स तक जाएगा और इसकी कुल लंबाई 16.74 किलोमीटर होगी। फिलहाल इसी लाइन के 7 किलोमीटर के हिस्से पर परिचालन शुरू हो रहा है।
ब्लू लाइन: यह कॉरिडोर भदभदा चौराहे से लेकर रत्नागिरी तिराहे तक 14.17 किलोमीटर लंबा होगा।
इस परियोजना के पूरा होने से भोपाल के प्रमुख आवासीय, व्यावसायिक और सरकारी क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा, जिससे शहर की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है। मेट्रो सेवा शुरू होने से न केवल यात्रा के समय में कमी आएगी, बल्कि सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा।