भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल समझौते पर बड़ा बयान दिया। एक निजी चैनल के कार्यक्रम में उन्होंने पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया और कहा कि अब भारत का हक का पानी पाकिस्तान नहीं जाएगा। मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा, “पहले भारत का पानी बाहर चला जाता था, लेकिन अब यह भारत में ही बहेगा और हमारे हक में रहेगा।”
यह बयान उस समय आया जब भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता निलंबित कर दिया और पाकिस्तान के हिस्से जाने वाले चिनाब नदी के पानी को रोकने का फैसला लिया था। यह कदम भारतीय सुरक्षा बलों पर हमले के बाद उठाया गया था, जब 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादी हमला हुआ था।
मोदी ने उठाए कई अन्य मुद्दे
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि दशकों तक भारत की नदियों के पानी को एक संघर्ष का कारण बनाया गया, लेकिन अब उनकी सरकार ने नदियों के जोड़ने के महाअभियान की शुरुआत की है। इस अभियान का उद्देश्य जल स्रोतों का बेहतर उपयोग करना और देश के विकास को बढ़ावा देना है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने सेना के हितों को प्राथमिकता दी है, जैसे कि ‘वन रैंक वन पेंशन’ (OROP) योजना, जिससे लाखों सैनिक परिवारों को लाभ हुआ है।
देश हित को सर्वोपरि मानते हुए फैसले
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान यह भी बताया कि पहले के समय में नेताओं द्वारा बड़े फैसले लेने से पहले यह चिंता की जाती थी कि वोटबैंक पर क्या असर पड़ेगा। मोदी ने कहा, “इस स्वार्थी सोच के कारण बड़े फैसले और रिफॉर्म स्थगित होते गए, लेकिन हमारी सरकार ने देश के हित को सर्वोपरि मानते हुए कई बड़े निर्णय लिए हैं।” उनका यह भी कहना था कि एक दशक से अधिक समय से भारत ने इस नीति के तहत काम किया है और इसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आ रहे हैं।
मोदी सरकार के बड़े फैसले
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिनका देश को लाभ हुआ। उन्होंने उदाहरण के रूप में ट्रिपल तलाक और वक्फ कानून का उल्लेख किया, जिनसे मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद मिली। इसके अलावा, मोदी ने कहा कि भारत का बैंकिंग सेक्टर अब दुनिया का सबसे मजबूत बैंकिंग सिस्टम बन चुका है, क्योंकि उनकी सरकार ने कई बैंकों का मर्जर किया।
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने फर्जी लाभार्थियों पर कड़ी नजर रखी और 10 करोड़ ऐसे लोगों को रोक दिया जो बिना किसी हक के सरकारी लाभ उठा रहे थे। इसके अलावा, “वन रैंक वन पेंशन” योजना के तहत सवा लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि भारतीय सैनिकों को दी जा चुकी है, जो पहले किसी सरकार ने नहीं किया था।