सोशल मीडिया पर ईरान के कुछ वीडियो क्लिप्स वायरल हो रहे हैं। इनमें पुलिस महिलाओं के बाल खींचकर उन्हें गिरफ्तार करती हुई नजर आ रही है। रिपोर्ट के अनुसार ये उन बच्चियों की माएं हैं, जो अभी अस्पताल में भर्ती हैं।
दिसंबर 2022 से ही स्कूली छात्राओं के बीमार होने की खबरें सामने आ रहीं थी। कहा जा रहा है कि छात्राओं को पढ़ने से रोकने के लिए उन्हें जहर दिया जा रहा है। ऐसा करने के लिए स्कूल के पानी में केमिकल्स मिलाए जा रहे हैं। दूषित पानी पीने से सैंकड़ों छात्राओं को सांस लेने में दिक्कत आ रही है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया जा रहा है।
दोषियों की जगह हो रही माता-पिता पर कार्यवाही
प्रोटेस्ट कर रहे माता-पिता की मांग है कि सरकार इस मामले में कार्यवाही करे। दिसंबर 2022 में छात्राओं के बीमार होने के मामले में जांच के आदेश दिए गए थे। लेकिन 3 महीने बाद भी इस मामले में किसी को पकड़ा नहीं गया। न ही कोई कार्रवाई हुई। इससे नाराज माता-पिता विरोध में प्रोटेस्ट करने लगे हैं। वहीं, पुलिस फोर्स इन्हें ही गिरफ्तार करने लगी
जहर दिए जाने की हेल्थ मिनिस्टर ने की पुष्टि
डिप्टी हेल्थ मिनिस्टर यूनुस पनाही ने 27 फरवरी बताया था कि घोम, बोरुजर्ड जैसे शहर में नवंबर 2022 के बाद से रेस्पिरेटरी पॉइजनिंग के सैंकड़ों मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने बताया था कि स्कूलों के पानी में कैमिकल मिलाया जा रहा है। इससे छात्राओं को सांस लेने में तकलीफ हो रही है।इसमें उल्टी, जबरदस्त बॉडी पेन और दिमागी दिक्कत भी शामिल है।
गर्ल्स स्कूल करना चाहते हैं बंद
रिपोर्ट के मुताबिक, डिप्टी हेल्थ मिनिस्टर यूनुस पनाही ने कहा था स्कूलों में छात्राओं को जहर दिए जाने के मामलों से पता चलता है कि कुछ लोग लड़कियों की शिक्षा पर रोक लगाना चाहते हैं और गर्ल्स स्कूल बंद करना चाहते हैं।
साइकेट्रिक हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया प्रदर्शनकारी छात्राओं को
विरोध प्रदर्शन कर रहीं छात्राओं को ईरान सरकार मानिसिक रोगी तक बता चुकी है। ईरान के शिक्षा मंत्री ने कहा था कि हिजाब का विरोध करने वाली स्कूल और कॉलेज की छात्राओं की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है।
उन्होंने कहा था कि ये सभी छात्राएं दिमागी रोग से ग्रसित हैं। इन छात्राओं को साइकेट्रिक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जिससे इन छात्राओं में पनप रहे असामाजिक व्यवहार को दुरुस्त किया जा सके।