वोट चोरी पर बढ़ा सियासी संग्राम, कांग्रेस का कोर्ट जाने का ऐलान, मंत्री सारंग ने उठाए सवाल, इतने दिनों बाद क्यों हुई कार्रवाई?

मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर बड़ा बवाल खड़ा हो गया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रदेश में बड़े पैमाने पर वोट चोरी और मतदाता सूची में हेराफेरी के आरोप लगाए हैं। उन्होंने राजधानी भोपाल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले विधानसभा चुनाव से ठीक दो महीने पहले लगभग 16 लाख नए मतदाता सूची में जोड़े गए थे। यह बड़ा बदलाव न तो राजनीतिक दलों को बताया गया और न ही प्रत्याशियों को इसकी कोई जानकारी दी गई। सिंघार ने यह भी खुलासा किया कि निर्वाचन आयोग ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ) को इस अपडेट को सार्वजनिक न करने के निर्देश दिए थे।

कांग्रेस का दावा – 27 सीटों पर परिणाम प्रभावित

सिंघार ने 27 विधानसभा सीटों का डेटा साझा करते हुए आरोप लगाया कि इन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी बहुत कम अंतर से हारे थे। वहीं, इन क्षेत्रों में मतदाता सूची में लाखों नए नाम जोड़े गए थे। उनका कहना है कि अगर यह गड़बड़ी न होती तो परिणाम अलग हो सकते थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि कांग्रेस इस मामले को लेकर अब न्यायालय की शरण लेगी और कानूनी लड़ाई लड़ेगी।

केवल 7 महीने में लाखों वोटरों की बढ़ोतरी

कांग्रेस नेता ने विस्तृत आंकड़े भी पेश किए। उनके अनुसार 5 जनवरी से 2 अगस्त 2023 के बीच मतदाताओं की संख्या में 4.64 लाख की वृद्धि हुई थी। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि केवल दो महीने – 2 अगस्त से 4 अक्टूबर 2023 के बीच मतदाताओं की संख्या में 16.05 लाख की बढ़ोतरी दर्ज हुई। सिंघार ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग ने 9 जून 2023 को मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मिजोरम और तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारियों को यह निर्देश दिया था कि इस दौरान मतदाता सूची में हुए जोड़-घटाव को न तो वेबसाइट पर डाला जाए और न ही किसी राजनीतिक दल को साझा किया जाए।

8 लाख से ज्यादा डुप्लीकेट नामों पर भी सवाल

सिंघार ने एक और बड़ा खुलासा किया। उनके मुताबिक, 2 दिसंबर 2022 को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने सभी जिलों को आदेश दिया था कि मतदाता सूची से 8,51,564 नकली और डुप्लीकेट प्रविष्टियां हटाई जाएं। लेकिन अब तक किसी भी जिला अधिकारी ने यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की है। यहां तक कि आरटीआई के जरिए भी संबंधित आंकड़े उपलब्ध नहीं कराए गए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ‘गरुड़ ऐप’ से संबंधित डाटा को भी जानबूझकर छिपाया जा रहा है, जबकि नियम 32 के तहत सभी दस्तावेज न्यूनतम तीन साल तक सुरक्षित रखने जरूरी हैं।

चुनाव आयोग की वेबसाइट बंद होने से बढ़ा विवाद

वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के आरोपों के बीच मंगलवार को अचानक एमपी सीईओ की वेबसाइट बंद हो गई। वेबसाइट पर लगातार “अंडर मेंटेनेंस” का संदेश दिखाई देता रहा। कांग्रेस ने इसे भी साजिश करार दिया। सिंघार का कहना है कि जैसे ही उन्होंने जनता के सामने अनियमितताओं के सबूत रखे, वैसे ही वेबसाइट का सर्वर डाउन कर दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग बार-बार तकनीकी गड़बड़ी का बहाना बनाकर वास्तविक डेटा छिपाने की कोशिश कर रहा है।

बीजेपी का पलटवार – कांग्रेस फैला रही है झूठ

इन आरोपों पर प्रदेश सरकार और बीजेपी ने पलटवार किया है। मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि कांग्रेस जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। अगर सिंघार के पास सच में कोई ठोस सबूत हैं तो उन्हें चुनाव आयोग के सामने शपथपत्र के साथ प्रस्तुत करना चाहिए। सारंग ने आरोप लगाया कि कांग्रेस केवल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए झूठी बातें फैला रही है।

चुनाव के बाद क्यों जागी कांग्रेस?

सारंग ने सवाल उठाया कि विधानसभा चुनाव हुए 20 महीने बीत चुके हैं, ऐसे में कांग्रेस को अचानक यह मुद्दा क्यों याद आया? उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार चुनाव परिणाम पर आपत्ति चुनाव याचिका (इलेक्शन पिटिशन) के माध्यम से दी जा सकती है। इसके अलावा परिणाम घोषित होने के 45 दिन के भीतर भी चुनौती दी जा सकती है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस अब पत्रकार वार्ता करके केवल जनता को गुमराह करने का काम कर रही है।