मेट्रो की रफ्तार से भी तेज़ चली इंदौर में सियासत की उठा-पटक?

इंदौर वालों के लिए बड़ी खुशखबरी है कि शहर की बहुप्रतीक्षित मेट्रो अब जनता के सफर के लिए तैयार होने लगी है। शनिवार, 19 अप्रैल, को सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर पर मेट्रो का ट्रायल हुआ—और क्या जलवा था! मेट्रो में कैमरों की चमक, सोशल मीडिया पर तस्वीरों की बाढ़, और मंच पर मौजूद थे खुद नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, और सांसद शंकर लालवानी। लेकिन इसी ट्रायल में कुछ खाली कुर्सियां बहुत कुछ कह गईं।

कौन नहीं आया? और क्यों?
जिस आयोजन में पूरा प्रशासन जुटा था, उसी में शहर के बड़े नेता ग़ायब रहे। शहर में रहने वाले भाजपा के एक ओर मंत्री तुलसीराम सिलावट सहति दिग्गज विधायक रमेश मेंदोला, गोलू शुक्ला, मालिनी गौड़, महेंद्र हार्डिया, और मधु वर्मा जैसे बीजेपी के बड़े चेहरे—कहीं नज़र नहीं आए। इसके साथ ही ग्रामीण विधानसभा से जुड़े विधायक उषा ठाकुर और मनोज पटेल सहित अन्य भी नजर नहीं आए। इसके पीछे सूत्र बताते हैं कि कार्यक्रम का आमंत्रण भोपाल से ही गया, और वो भी सीमित लोगों को। अब ये संयोग था या सियासी संकेत—इस पर चर्चाएं तेज हैं। कुछ का कहना है कि “कैलाश जी के शहर के नेताओं से रिश्ते अब भी सधे नहीं हैं।”

याद कीजिए वो दिन
30 सितंबर 2023 को जब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मेट्रो के पहले ट्रायल पर सवार हुए थे, तब मंच सजा था—हर नेता मौजूद था, हर कैमरा एक्टिव। पूरा आयोजन एक ‘पॉलिटिकल फैमिली फोटो’ की तरह दिखा। लेकिन इस बार? सब कुछ सीमित, चुपचाप, और सिर्फ़ चंद चेहरों तक।

क्या इंदौर की राजनीति दो ध्रुवों में बंटी?
ये बात अब ज़ुबान पर है कि क्या इंदौर की राजनीति दो गुटों में बंट चुकी है? एक तरफ कैलाश विजयवर्गीय और उनका ‘भोपाल से चलाया जा रहा सिस्टम’, दूसरी तरफ इंदौर के स्थानिय स्थापित नेता, जो शायद इस नए सेंट्रलाइजेशन से असहज हैं। खैर ताई-भाई खेमा तो बरसों से बंटा हुआ है लेकिन अब सियासत में और भी कुछ नजर आने लगा है। कई गुंटों में बंटी भाजपा नजर आ रही है।

मेट्रो की असली रफ्तार अब शुरू होगी
राजनीति अपनी जगह, पर आम लोगों के लिए राहत की खबर ये है कि अब मेट्रो जल्द ही आम जनता के लिए खुलेगी। इसमें पहला सेक्शन 5.5 किमी का सुपर प्रायोरिटी सेक्शन तैयार है, और दिवाली तक मेट्रो में आम लोग सफर कर पाएंगे, ऐसा वादा किया गया है।

कनेक्टिविटी, सुविधा और उम्मीदें
महापौर पुष्यमित्र भार्गव इस कोशिश में हैं कि मेट्रो की कनेक्टिविटी शहर की बस सेवाओं से बेहतर हो, ताकि यह सिर्फ एक नई सवारी न हो, बल्कि इंदौर की लाइफलाइन बन जाए।

अब सबकी नज़र प्रधानमंत्री पर
औपचारिक उद्घाटन के लिए अब सिर्फ़ इंतज़ार है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समय का। जैसे ही तारीख तय होगी, मेट्रो का सफर औपचारिक रूप से शुरू होगा। नरेन्द्र मोदी के सामने कौन-कौन राजनेता अपना वर्चस्व दिखाते है यह तो आगमी समय में सामने आएगा लेकिन फिलहाल शहर में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के साथ अन्य स्थानिय नेताओं की पटरी शायद जम नहीं रही है। जिसके चलते मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अलग-अलग नजर आ रहै। खैर जल्द ही इन बातों से भी पर्दा उठ ही जाएंगा कि मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और अन्य मंत्री तुलसी सिलावट और विधायकों के बीच अंदर क्या खींचड़ी पक रही है। क्या अब अगली बार मंच पर सब साथ होंगे? या मेट्रो की रफ्तार से तेज़ चलेगी इंदौर की सियासत की उठा-पटक? फिलहाल, जनता के लिए मेट्रो तैयार है—बाकी नेता बाद में लाइन में लगेंगे!