जनगणना अधिसूचना : सरकार ने जनगणना के लिए अधिसूचना जारी की है, जिससे अब परिसीमन और महिला आरक्षण कानून को लागू करने पर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। इसी जनगणना के आधार पर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की सीटों की संख्या बढ़ाई जाएगी। सरकार ने कहा है कि परिसीमन के बाद ही संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने वाला कानून लागू किया जाएगा। लेकिन समय समय कम होने के कारण यह प्रक्रिया 2034 के आम चुनाव तक टल सकती है। अधिसूचना के अनुसार, जनगणना की शुरुआत 1 मार्च 2027 से होगी। हालांकि प्रारंभिक आंकड़े जल्दी मिलेंगे, लेकिन विस्तृत जानकारी दिसंबर 2027 से पहले आना मुश्किल है। जब तक अंतिम आंकड़े नहीं आते, सरकार परिसीमन आयोग का गठन नहीं कर सकती। ऐसे में यह काम 2028 में होगा और रिपोर्ट 2029 के चुनाव से ठीक पहले आ सकती है।
1973 में लोकसभा सीटें हुई थीं 543, अब बढ़ने की संभावना
अब तक देश में तीन बार लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाई गई है। पहली बार 1951 की जनगणना के आधार पर 1952 में परिसीमन हुआ, जिसमें लोकसभा की 489 सीटें तय की गईं। दूसरी बार 1961 की जनगणना और तीसरी बार 1971 की जनगणना के आधार पर 1973 में परिसीमन किया गया। इसके बाद सीटों की संख्या बढ़ाकर क्रमशः 522 और फिर 543 कर दी गई। लेकिन दक्षिण भारत के कुछ राज्यों के विरोध के कारण 2001 तक परिसीमन पर रोक लगाई गई। 2001 में एक बार फिर परिसीमन किया गया, लेकिन सीटों की संख्या बढ़ाने पर 25 साल के लिए रोक जारी रखी गई।
परिसीमन विवाद: राजनीतिक संतुलन का वक्त
परिसीमन शुरू होने से पहले ही देश में उत्तर बनाम दक्षिण का विवाद फिर से सामने आ गया है। दक्षिण भारत के राज्य जनसंख्या के आधार पर सीटें बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं। तेदेपा सहित कई दल चाहते हैं कि सीटें बराबर बढ़ें। सरकार को पहले यह विवाद सुलझाना होगा।
सरकार ने आजादी के बाद पहली बार जाति गणना कराने का फैसला किया है, लेकिन सही आंकड़ा जुटाना आसान नहीं होगा। 2011 की जनगणना में जब जाति सर्वे किया गया था, तब करीब 38 लाख जाति-उपजातियां सामने आई थीं। इस बार सरकार ने हर धर्म की जातियों का डेटा इकट्ठा करने की बात कही है, लेकिन अभी यह साफ नहीं है कि सटीक आंकड़े कैसे निकलेंगे।