प्रदूषण ने बदले हालात, 15 दिन में रेखा सरकार को फिर लागू करनी पड़ी सख्ती, दिल्ली में बिगड़ी हवा

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण की स्थिति एक बार फिर बेहद चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सरकार ने कड़े कदम उठाते हुए राजधानी और एनसीआर क्षेत्र में ग्रैप-4 (GRAP-4) के तहत सख्ती लागू कर दी है। बीते कुछ दिनों में प्रदूषण के स्तर में सुधार की उम्मीद जरूर जगी थी, लेकिन हालात फिर बिगड़ने के बाद सरकार को दोबारा सख्त फैसले लेने पड़े हैं। इसका सीधा असर अब आम लोगों की दिनचर्या, दफ्तरों और बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है।

दरअसल, इससे पहले 11 नवंबर को प्रदूषण बढ़ने पर ग्रैप-3 लागू किया गया था, जिसके तहत कई पाबंदियां लगाई गई थीं। हालांकि 27-28 नवंबर को एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) में हल्का सुधार दर्ज होने के बाद सरकार ने राहत देते हुए इन प्रतिबंधों को हटा लिया था। लेकिन करीब 15 दिन के भीतर ही हालात फिर से गंभीर हो गए और पहले ग्रैप-3 तथा फिर 14 दिसंबर को ग्रैप-4 लागू करने का फैसला लिया गया। यानी प्रदूषण के बिगड़ते हालात ने सरकार को अपने पहले के फैसले पलटने पर मजबूर कर दिया।

ग्रैप-4 के लागू होते ही शिक्षा व्यवस्था में भी बदलाव किए गए हैं। अब कक्षा 6 से 9 और कक्षा 11 तक की पढ़ाई हाइब्रिड मोड में चलेगी, जबकि कक्षा 5वीं तक के सभी स्कूल पूरी तरह ऑनलाइन मोड पर संचालित होंगे। इसका उद्देश्य यह है कि छोटे बच्चों को प्रदूषण के सीधे प्रभाव से बचाया जा सके और उन्हें घर से बाहर निकलने की जरूरत न पड़े।

दफ्तरों में काम करने वालों को भी राहत दी गई है। नए आदेश के मुताबिक, निजी और सरकारी दफ्तरों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम की अनुमति दी गई है। इससे सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होगी और प्रदूषण को कुछ हद तक नियंत्रित करने में मदद मिल सकेगी। इसके अलावा राजधानी क्षेत्र में भारी वाहनों की एंट्री पर भी रोक लगा दी गई है, ताकि प्रदूषण का स्तर और न बढ़े।

इससे पहले 11 से 28 नवंबर के बीच भी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग की सिफारिश पर ग्रैप-3 लागू किया गया था। उस दौरान भी दफ्तरों में 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने के निर्देश दिए गए थे और स्कूलों को हाइब्रिड मोड पर रखा गया था। हालांकि प्रदूषण में थोड़ी राहत मिलते ही नियमों में ढील दे दी गई थी, लेकिन अब हालात फिर से बेहद खराब होने पर सरकार को सख्ती दिखानी पड़ी है।

ग्रैप-4 लागू होने के बाद राजधानी और आसपास के जिलों में कई और पाबंदियां प्रभावी हो गई हैं। दिल्ली में बड़े वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही, सीएनजी और बीएस-6 डीजल वाहनों को छोड़कर दिल्ली के बाहर रजिस्टर्ड गैर-आवश्यक हल्के कमर्शियल वाहनों पर भी प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इन कदमों का मकसद प्रदूषण के स्रोतों को सीमित करना है।

ग्रैप लागू करने के मानकों की बात करें तो, जब AQI 201 से 300 के बीच होता है, तब ग्रैप-1 लागू किया जाता है। AQI 301 से 400 होने पर ग्रैप-2, 401 से 450 पर ग्रैप-3 और 450 से ऊपर यानी ‘अति गंभीर’ स्थिति में ग्रैप-4 लागू किया जाता है। फिलहाल दिल्ली और एनसीआर में AQI बेहद खराब स्तर पर पहुंच चुका है, जिस कारण सबसे सख्त चरण को लागू करना जरूरी हो गया।

प्रदूषण के बढ़ते खतरे को देखते हुए एनसीआर के अन्य जिलों में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। गौतमबुद्ध नगर जिले में जिला विद्यालय निरीक्षक ने आदेश जारी कर कक्षा 5वीं तक की पढ़ाई ऑनलाइन और 6 से 11वीं तक की कक्षाएं हाइब्रिड मोड में चलाने के निर्देश दिए हैं। यह आदेश जिले के सभी सरकारी और निजी स्कूलों पर समान रूप से लागू होगा।

इसी तरह गाजियाबाद में भी वायु प्रदूषण को लेकर सतर्कता बढ़ा दी गई है। यहां जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से सभी स्कूलों और कोचिंग संस्थानों के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। आदेश के अनुसार 14 दिसंबर से प्री-नर्सरी से लेकर कक्षा 5 तक की पढ़ाई ऑनलाइन होगी, जबकि कक्षा 6 से 9 और कक्षा 11 की कक्षाएं हाइब्रिड मोड में संचालित की जाएंगी। इन फैसलों से साफ है कि सरकार फिलहाल बच्चों और आम नागरिकों की सेहत को प्राथमिकता देते हुए सख्ती बरत रही है।