गणेश उत्सव में नहीं चलेगी पीओपी की मुर्तियां, एसडीएम ने की छापामार कार्रवाई

गणेश उत्सव को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। जन्माष्टमी के बाद सभी गणेश उत्सव की तैयारियों में लग जाएगे। यही गणेश उत्सव में पीओपी से बनी मुर्तियों की स्थापना को रोकने का प्रयास प्रशासन लगातार कर रहा है। जिसके चलते इस वर्ष प्रशासन ने पीओपी से निर्मित मुर्तियों के निर्माण को ही सख्ती से रोकने के आदेश दे दिए है। कलेक्टर आशीष सिंह ने इस वर्ष पीओपी से बनी मुर्तियों को बनाने से ही रोकने के निर्देश दिए है। इसी के चलते आज मल्हारगंज एसडीएम ने पीएमपी मुर्ति निर्माण कर रहे कारिगरों को गोदाम पर छापामार कार्रवाई की। बाणगंगा क्षेत्र में बनी पीओपी की गणेश प्रतिमाएं जप्त करने की कार्रवाई की गई। यहां से 100 से अधिक बड़ी मूर्ति और करीब 700 छोटी मूर्ति जप्त की गई है।

सस्ती होती है पीओपी की मुर्तियां
जिले में पीओपी से बनी मूर्तियां प्रतिबंधित की गई है। इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। इस वर्ष ऐसे है इंदौर जिले में बारिश कम हुई है ऐसे में जल स्त्रोतो में मुर्तियों के विसर्जन से पानी का दुषित होता है। परंपरा अनुसार भगवान गणेशजी एवं दूर्गाजी की मूर्ति चिकनी मिट्टी से बनाई जाती है। लेकिन पिछले कुछ सालों से, प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी), जो कि बहुत सस्ती और हल्की मिट्टी है, यह मूर्तियों के निर्माण के लिए पसंदीदा सामग्री बन गई है। प्लास्टर ऑफ पेरिस में जिप्सम, सल्फर, फास्फोरस, मैग्नीशियम रसायन शामिल होते हैं। इन मूर्तियों को रंगने के लिए जिन डाईयों का प्रयोग किया जाता है, उनमें मर्करी, कैडमियम, आर्सेनिक, लेड और कार्बन शामिल होता है। इन मूर्तियों को सजाने के लिए प्लास्टिक और थर्माकोल से बनी सामग्री का प्रयोग किया जाता है। ऐसे पदार्थ जैव अघटनीय नहीं होते हैं।

पानी में फैलते है विषाक्त तत्व
इन मूर्तियों को जल में विसर्जित किया जाता है, तो ये विषाक्त तत्व पानी में मिल जाती है। जिससे पर्यावरण को प्रदूषित होता है। बताया कि मूर्तियों के विसर्जन से प्राकृतिक जल स्रोतों जैसे नदी, तालाब, झील आदि की गुणवत्ता प्रभावित ना हो। इसके लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नई दिल्ली द्वारा मूर्ति विसर्जन के सबंध में विस्तृत गाइडलाइन जारी की गई है।

जनजागरूकता है आवश्यक
नगर निगम क्षेत्र में अन्य जिलों से बड़ी एवं पीओपी से बनी मूर्तियों का खरीदना एवं पांडालों में स्थापना करना पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा। पीओपी की मुर्तियों के प्रयोग को रोकने के लिए जनजागरूकता आवश्यक है। इसके साथ ही पर्यावरणीय दुष्प्रभाव से बचने के लिए, पूजा के लिए जहां तक संभव हो सके, कम ऊंची और पर्यावरणीय अनुकूल मूर्तियों (प्राकृतिक मिट्टी से बनी), जैव-अपघटनीय पदार्थों, ओर्गेनिक रंगों (प्राकृतिक, जैव-अपघटनीय पदार्थों एवं गैर-विषाक्त सामग्री) जैसे हल्दी, चंदन और गेरुआ आदि से सजी मूर्तियों का उपयोग किया जाना चाहिए।