Post Office New Rule: भारतीय डाक विभाग ने एक बड़ा फैसला लेते हुए घोषणा की है कि 1 सितंबर, 2025 से पंजीकृत डाक सेवा (Registered Post Service) को पूरी तरह बंद किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक सेवा अब स्पीड पोस्ट में विलय (Merge) कर दी जाएगी। इस बदलाव के बाद अब ग्राहक केवल स्पीड पोस्ट के ज़रिए ही अपने डॉक्युमेंट्स या पार्सल भेज सकेंगे, जिसमें उन्हें पहले की तुलना में ज्यादा सुविधाएं और तेज़ सेवा मिलेगी।
क्या है यह नया बदलाव और इसका क्या असर होगा?
इस निर्णय के तहत डाक विभाग अब Registered Post के नाम से कोई सेवा नहीं चलाएगा। इसकी जगह Speed Post को ही एकमात्र विकल्प के रूप में रखा गया है। लेकिन इसमें रजिस्टर्ड डाक जैसी सुविधाएं जैसे प्रूफ ऑफ डिलीवरी, सिग्नेचर आधारित रिसीविंग, और सेफ ट्रांसमिशन जैसी सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। इसका उद्देश्य देश की डाक प्रणाली को अधिक तेज़, डिजिटल और यूज़र-फ्रेंडली बनाना है।
1854 में हुई थी रजिस्टर्ड डाक की शुरुआत – अब हो रही है विदाई
Registered Post Service की शुरुआत भारत में साल 1854 में हुई थी। यह सेवा लंबे समय तक ऐसे महत्वपूर्ण कागजातों, दस्तावेजों और कीमती वस्तुओं की डिलीवरी के लिए इस्तेमाल की जाती रही है, जिन्हें सुरक्षित रूप से और सही व्यक्ति तक पहुँचाना ज़रूरी होता था। यह प्रणाली सुरक्षा, गोपनीयता, और कानूनी विश्वसनीयता के लिए जानी जाती थी। लेकिन बदलते दौर में इसका प्रयोग धीरे-धीरे घटता गया।
रजिस्टर्ड पोस्ट और स्पीड पोस्ट में क्या फर्क था, और अब क्या बदलाव होगा?
रजिस्टर्ड डाक एक सुरक्षित प्रणाली थी जिसमें पार्सल उसी व्यक्ति को दिया जाता था, जिसके नाम पर भेजा गया हो। इसमें ट्रैकिंग, रिसीवर के सिग्नेचर, और डिलीवरी की पुख्ता सूचना जैसी सुविधाएं शामिल थीं। स्पीड पोस्ट, दूसरी ओर, तेज़ डिलीवरी के लिए प्रसिद्ध थी लेकिन इसमें रिसीवर की पहचान की अनिवार्यता नहीं थी। अब, स्पीड पोस्ट को रजिस्टर्ड पोस्ट जैसी सुरक्षा विशेषताओं से लैस किया जाएगा, जिससे एक ही सेवा में तेज़ी और सुरक्षा दोनों उपलब्ध होंगी।
रजिस्टर्ड डाक सेवा को क्यों किया जा रहा है बंद?
डाक विभाग के अनुसार, रजिस्टर्ड पोस्ट की उपयोगिता पिछले कुछ वर्षों में लगातार कम हो रही थी।
• वित्त वर्ष 2011-12 में लगभग 24 करोड़ आर्टिकल्स रजिस्टर्ड पोस्ट से भेजे गए थे।
• यह संख्या 2019-20 में घटकर 18 करोड़ रह गई, जो लगभग 25% की गिरावट है।
• कोविड-19 महामारी के बाद यह गिरावट और तेज़ हो गई, जिससे यह सेवा लगभग अप्रासंगिक होती जा रही थी।
डिजिटल युग में पोस्टल सेवा का नया अध्याय
डाक विभाग का यह कदम इस दिशा में एक बड़ा बदलाव है, जहां डिजिटल युग की मांगों के अनुसार पारंपरिक सेवाओं को आधुनिक और सक्षम बनाया जा रहा है। स्पीड पोस्ट अब एक ऐसा प्लेटफॉर्म बनकर उभरेगा जिसमें सुरक्षा, ट्रैकिंग, तेज़ी और प्रमाणिकता सभी कुछ एक साथ मिलेगा। इससे पोस्टल सर्विस ज्यादा विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी बन सकेगी, और लोगों का विश्वास डाक विभाग पर फिर से बहाल किया जा सकेगा।
स्पीड पोस्ट के नए रेट
भारतीय डाक विभाग द्वारा स्पीड पोस्ट सेवा के लिए तय किए गए नए रेट अब और अधिक पारदर्शी व श्रेणीबद्ध हो गए हैं, जिससे ग्राहक अपने पार्सल या डॉक्युमेंट्स को भेजने से पहले स्पष्ट रूप से शुल्क का अनुमान लगा सकते हैं। ये दरें वजन और दूरी के आधार पर अलग-अलग तय की गई हैं।
अगर आप 200 ग्राम तक का कोई पार्सल भेजते हैं, तो उसकी कीमत उस पार्सल के तय स्थान पर पहुँचने की दूरी पर निर्भर करेगी। यदि वह 200 किमी तक की दूरी में है, तो शुल्क ₹35 होगा। यदि दूरी 200 किमी से 1000 किमी के बीच है, तो यह दर ₹40 हो जाती है। वहीं, 1000 से 2000 किमी की दूरी के लिए स्पीड पोस्ट शुल्क ₹60 और 2000 किमी से अधिक दूरी होने पर ₹70 निर्धारित किया गया है।
जब कोई सामान 201 ग्राम से लेकर 500 ग्राम तक के बीच में होता है, तब उसकी दरें थोड़ी अधिक हो जाती हैं। इस श्रेणी में 200 किमी तक के लिए शुल्क ₹50, 1000 किमी तक के लिए ₹60, 2000 किमी तक के लिए ₹80, और 2000 किमी से अधिक दूरी पर भेजे जाने वाले सामान के लिए ₹90 शुल्क लिया जाएगा।
यदि कोई पार्सल 500 ग्राम से अधिक होता है, तो उसके लिए प्रत्येक अतिरिक्त 500 ग्राम पर अलग से शुल्क जोड़ा जाएगा। 200 किमी तक की दूरी के लिए अतिरिक्त वजन पर ₹15, 1000 किमी तक के लिए ₹30, 2000 किमी तक के लिए ₹40, और यदि दूरी 2000 किमी से अधिक हो तो ₹50 अतिरिक्त देने होंगे। इस तरह से भारतीय डाक विभाग ने अपनी स्पीड पोस्ट सेवा को अधिक व्यवस्थित और ग्राहक अनुकूल बना दिया है, ताकि हर नागरिक को पारदर्शी, उचित और तेज़ सेवा मिले।