सीहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की शिव महापुराण कथा का आयोजन मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में 4 अप्रैल यानि कल से आयोजित किया जा रहा है। उज्जैन के बड़नगर रोड स्थित मुरलीपुरा में पंडित प्रदीप मिश्र की शिव पुराण कथा 4 अप्रैल से 10 अप्रैल तक चलेगी। जहां भी पं. प्रदीप मिश्रा की शिवमहापुराण का आयोजन होता है वहां जनसमूह उमड़ पड़ता है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचकर कथा का आनंद लेते है। वहीं पंडित मिश्रा कथा के दौरान ही भक्तो को निवारण के उपाय भी बताते है। जिसमे संकटों को दूर करने और मनोकामना को पूरा करने के तरीके शामिल होते है। वहीं श्रद्धालु भी उनके द्वारा बताए गए उपायों को करने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।
पहले दिन की शिव कथा के समापन के बाद पंडित प्रदीप मिश्र ने कहा कि वे न तो पैम्फलेट बनाते हैं और न ही भविष्यवाणी करते हैं। कथावाचक ने यह भी कहा कि लोगों को ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए न कि सामान्य लोगों पर। प्रदीप मिश्रा ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन इसे बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से जोड़ा जा रहा है।
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जानकारी के लिए बता दें प्रदीप मिश्रा ने पत्रकारों से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘मैं न तो कोई नुस्खे लिखता हूं, न ही कोई भविष्यवाणी करता हूं। हमें किसी सामान्य व्यक्ति पर भरोसा करने के बजाय भगवान पर भरोसा करना चाहिए। इससे हमारा जीवन सार्थक होगा।’ साईं विवाद पर मिश्र ने कहा कि सनातन धर्म में देवताओं की कमी नहीं है, हम उनकी पूजा करें, सुख है।
कहानी समाप्त होने के बाद जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि आपने अपनी कहानी के दौरान भविष्यवाणियां नहीं करने के लिए कहा था तो क्या यह बागेश्वर धाम के बारे में था? उन्होंने कहा, ‘हमें इसकी परवाह नहीं है। हम इतना जानते हैं कि शंकर भगवान का भाजन करेन स्वयम महाकाल बिटा हाई वर्ल्ड का भाजा वाला है, वही भगवान राम और कृष्ण के हाथों को देखकर बताते हैं। हमें अपने भगवान पर भरोसा करना होगा, हम किसी साधारण इंसान पर भरोसा नहीं करेंगे। अगर हम भगवान पर भरोसा रखें, तो हमारा जीवन सार्थक होगा।’
आपको बता दें कि पंडित प्रदीप मिश्रा कथा के दौरान कैसे भोलेनाथ को प्रसन्न किया जाता है, उसके तरीके भी बताते है। साथ ही बिल्वपत्र आदि के माध्यम से भक्तों को विभिन्न समस्याओं के निवारण के बारे में बताते हैं। कई बार कथा में पंडित मिश्रा ने कहा है कि सिर पर लितक लगाने व हाथ में जल का कलश लेकर मंदिर जाने में शर्म कैसी। लोगो का काम है हसना, लेकिन हमारा काम है भोले की भक्ति में मग्न हो जाना। हमें तो शिव की आराधना से मतलब है। वो सब देख रहा है।